भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश(Madhyapradesh) में उपचुनाव(By-election) से पहले राजनीतिक सियासत गरमाई हुई है। हर बार एक नया मुद्दा सियासत में रंग भर देता हैं। इसी बीच अब सिंधिया(Scindia) मामले में सियासत अपने चरम पर पहुँच गई है। ग्वालियर(Gwalior) के डबरा विधानसभा क्षेत्र में ज्योतिरादित्य सिंधिया(Jyotiraditya Scindia) द्वारा एक विशेष गाड़ी पर खड़े होकर दौरा करने मामले में प्रदेश की सियासत गरमा गई है। इसके बाद एक तरफ जहां कांग्रेस(congress) ने इस मामले में आपत्ति जताई है। वहीं दूसरी तरफ बीजेपी सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया को लेकर महाराष्ट्र के साकेत गोखले(Saket Gokhale of Maharashtra) ने शिकायत दर्ज कराई है।
दरअसल महाराष्ट्र के साकेत गोखले ने शिकायत की है कि ग्वालियर में उपचुनाव के प्रचार के लिए पुलिस के वाहन का उपयोग किया गया था। जो अनैतिक है। वहीं उन्होंने मध्य प्रदेश के निर्वाचन आयोग(Election Commission of Madhya Pradesh) में शिकायत दर्ज की है कि इस मामले पर जल्द से जल्द कार्रवाई की जाए। जिसके बाद मध्य प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय ने गृह विभाग से 3 दिन के अंदर जांच रिपोर्ट की मांग की है। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय के अधिकारियों ने बताया कि महाराष्ट्र से 13 और 14 सितंबर को ईमेल के माध्यम से शिकायत दर्ज कराई गई है। जिसमें ज्योतिरादित्य सिंधिया के उपचुनाव में पुलिस वाहन के उपयोग का दावा किया गया है। वहीं प्रमाण के तौर पर फोटो की प्रति भी उपलब्ध कराई गई है।जिसके बाद मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय ने इस मामले में जांच रिपोर्ट की मांग की है।
बता दें कि इससे पहले कांग्रेस ने इस मामले में कड़ी प्रतिक्रिया जताते हुए कहा था कि पुलिस की गाड़ी का सियासी इस्तेमाल असंवैधानिक है। मैं कांग्रेस में कहा था कि सरकार या प्रशासन को यह स्पष्ट करना चाहिए कि यह राजनीतिक प्रवास के लिए पुलिस के वाहन का इस्तेमाल नहीं किया गया तो पुलिस के वाहन पर राष्ट्रीय ध्वज कैसे और क्यों लगाया गया था।
गौरतलब कि बीजेपी सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर दौरे पर पुलिस की गाड़ी का इस्तेमाल करते नजर आ रहे हैं। जिसकी फोटो की प्रति सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रही थी। जिसके बाद कांग्रेस ने इस बात पर आपत्ति जताई थी। वही गाड़ी के नंबर से देखना चाहिए पता चल रहा है कि गाड़ी पुलिस विभाग की है। नियम के अनुसार पुलिस की गाड़ी इस्तेमाल किसी भी राजनीतिक कार्यक्रम के लिए नहीं किया जा सकता था। जिसके बाद चुनाव आयोग ने इस मामले में गृह विभाग से जांच रिपोर्ट की मांग की है।