Farmer Protest : किसानों के समर्थन में संत बाबा राम सिंह ने मारी खुद को गोली, कहा- किसानों का दुख देखा नहीं जा रहा

Gaurav Sharma
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भोपाल,डेस्क रिपोर्ट। केंद्र सरकार (Central Government) द्वारा लाए गए कृषि बिल (Agriculture bill) के खिलाफ किसानों का आंदोलन (Farmers Protest) दिन-ब-दिन उग्र रूप लेते जा रहा है। किसानों द्वारा सिंधु बार्डर (Sindhu Border) पर धरना प्रदर्शन किया जा रहा है। जहां एक ओर किसान बिल वापस (Withdrawal of bill) लेने की मांग पर अड़े हुए हैं, वहीं केंद्र सरकार बिल में संशोधन (Amendment) करने को लेकर तो तैयार है परंतु वह भी बिल वापस नहीं लेने की हट कर रही है। इसी बीच बुधवार को संत बाबा राम सिंह (Sant Baba Ram Singh) ने किसानों का समर्थन करते हुए खुद को गोली मारकर आत्महत्या (Suicide) कर ली। बाबा राम सिंह 65 साल के थे और वह करनाल के सिंघरा गांव के निवासी थे। सिंघरा गांव के ही गुरुद्वारे में वह साहिब नानकसर के ग्रंथी थे, बताया जा रहा है कि उनके अनुयाइयों की संख्या लाखों में है।

पंजाबी में लिखा है सुसाइड नोट

आत्महत्या करने से पहले संत राम सिंह (Sant Ram Singh) ने पंजाबी में एक सुसाइड नोट लिखा है, जिसमें उन्होंने लिखा कि यह आंदोलन जुल्म के खिलाफ एक आवाज है। आगे अपने सुसाइड नोट में बाबा लिखते हैं कि किसानों का दुख नहीं देखा जा रहा है। अपने हक के लिए सड़कों पर उन्हें देखकर मुझे बहुत दुख हुआ है। सरकार इन्हें न्याय नहीं दे रही है, जो कि जुल्म है और जो जुल्म करता है वह पाप का भागीदार ही होता है। जुल्म सहना भी पाप ही होता है। किसी ने किसानों के हक के लिए तो किसी ने जुल्म के खिलाफ कुछ किया है। किसी ने पुरस्कार वापस करके अपना गुस्सा जाहिर किया है। किसानों के हक के लिए और सरकारी जुल्म के गुस्से के बीच एक सेवादार आत्मदाह करता है। यह जुर्म के खिलाफ आवाज है यह किसानों के हक के लिए आवाज है वाहेगुरु जी का खालसा वाहेगुरु जी की फतेह।

गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष ने जताया दुख

वही संतराम सिंह के गोली मारकर आत्महत्या करने को लेकर दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा ने दुख जताते हुए ट्वीट किया है। अपने ट्वीट में वे लिखते हैं कि संत राम सिंह जी ने किसानों की व्यथा को देखते हुए आत्महत्या कर ली । इस आंदोलन ने पूरे देश की आत्मा झकझोर कर रख दी है। मेरी वाहेगुरु से अरदास है कि उनकी आत्मा को शांति मिले, आप सभी से संयम बनाकर रखने की विनती है।

संत राम सिंह ने खुद को मारी गोली

संत राम सिंह की खुदकुशी करने के बाद लोग उन्हें पानीपत के पास अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। उनके साथ ही गुरमीत बताते हैं कि बाबा राम सिंह ने उनसे कहा था की तुम स्टेज पर जाकर अदास करो, गुरमीत ने कहा कि मैं अरदास करने मंच पर गया और कार का चालक चाय पीने के लिए चला गया इसी दौरान उन्होंने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली।

अब तक हो चुकी हैं 11 से अधिक किसानों की मौत

वहीं किसानों के नेताओं का कहना है कि लगभग हर दिन किसानों की मौत हो रही है। इस कोरोनावायरस के दौर में और कड़कड़ाती हुई ठंड में खुले में किसानों द्वारा प्रदर्शन करना चुनौती से कम नहीं है। हालांकि किसानों के हौसले बुलंद है। उन्होंने कहा कि अगर मांग पूरी करने के लिए 6 महीने तक भी टिकना पड़ा तो हम तैयार है। किसान आंदोलन में शामिल अब तक 11 से ज्यादा किसानों की मौत हो चुकी है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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