Farmer Protest : किसानों के समर्थन में संत बाबा राम सिंह ने मारी खुद को गोली, कहा- किसानों का दुख देखा नहीं जा रहा

Gaurav Sharma
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भोपाल,डेस्क रिपोर्ट। केंद्र सरकार (Central Government) द्वारा लाए गए कृषि बिल (Agriculture bill) के खिलाफ किसानों का आंदोलन (Farmers Protest) दिन-ब-दिन उग्र रूप लेते जा रहा है। किसानों द्वारा सिंधु बार्डर (Sindhu Border) पर धरना प्रदर्शन किया जा रहा है। जहां एक ओर किसान बिल वापस (Withdrawal of bill) लेने की मांग पर अड़े हुए हैं, वहीं केंद्र सरकार बिल में संशोधन (Amendment) करने को लेकर तो तैयार है परंतु वह भी बिल वापस नहीं लेने की हट कर रही है। इसी बीच बुधवार को संत बाबा राम सिंह (Sant Baba Ram Singh) ने किसानों का समर्थन करते हुए खुद को गोली मारकर आत्महत्या (Suicide) कर ली। बाबा राम सिंह 65 साल के थे और वह करनाल के सिंघरा गांव के निवासी थे। सिंघरा गांव के ही गुरुद्वारे में वह साहिब नानकसर के ग्रंथी थे, बताया जा रहा है कि उनके अनुयाइयों की संख्या लाखों में है।

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।