आत्महत्या करने से पहले संत राम सिंह (Sant Ram Singh) ने पंजाबी में एक सुसाइड नोट लिखा है, जिसमें उन्होंने लिखा कि यह आंदोलन जुल्म के खिलाफ एक आवाज है। आगे अपने सुसाइड नोट में बाबा लिखते हैं कि किसानों का दुख नहीं देखा जा रहा है। अपने हक के लिए सड़कों पर उन्हें देखकर मुझे बहुत दुख हुआ है। सरकार इन्हें न्याय नहीं दे रही है, जो कि जुल्म है और जो जुल्म करता है वह पाप का भागीदार ही होता है। जुल्म सहना भी पाप ही होता है। किसी ने किसानों के हक के लिए तो किसी ने जुल्म के खिलाफ कुछ किया है। किसी ने पुरस्कार वापस करके अपना गुस्सा जाहिर किया है। किसानों के हक के लिए और सरकारी जुल्म के गुस्से के बीच एक सेवादार आत्मदाह करता है। यह जुर्म के खिलाफ आवाज है यह किसानों के हक के लिए आवाज है वाहेगुरु जी का खालसा वाहेगुरु जी की फतेह।
गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष ने जताया दुख
वही संतराम सिंह के गोली मारकर आत्महत्या करने को लेकर दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा ने दुख जताते हुए ट्वीट किया है। अपने ट्वीट में वे लिखते हैं कि संत राम सिंह जी ने किसानों की व्यथा को देखते हुए आत्महत्या कर ली । इस आंदोलन ने पूरे देश की आत्मा झकझोर कर रख दी है। मेरी वाहेगुरु से अरदास है कि उनकी आत्मा को शांति मिले, आप सभी से संयम बनाकर रखने की विनती है।
संत राम सिंह ने खुद को मारी गोली
संत राम सिंह की खुदकुशी करने के बाद लोग उन्हें पानीपत के पास अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। उनके साथ ही गुरमीत बताते हैं कि बाबा राम सिंह ने उनसे कहा था की तुम स्टेज पर जाकर अदास करो, गुरमीत ने कहा कि मैं अरदास करने मंच पर गया और कार का चालक चाय पीने के लिए चला गया इसी दौरान उन्होंने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली।
अब तक हो चुकी हैं 11 से अधिक किसानों की मौत
वहीं किसानों के नेताओं का कहना है कि लगभग हर दिन किसानों की मौत हो रही है। इस कोरोनावायरस के दौर में और कड़कड़ाती हुई ठंड में खुले में किसानों द्वारा प्रदर्शन करना चुनौती से कम नहीं है। हालांकि किसानों के हौसले बुलंद है। उन्होंने कहा कि अगर मांग पूरी करने के लिए 6 महीने तक भी टिकना पड़ा तो हम तैयार है। किसान आंदोलन में शामिल अब तक 11 से ज्यादा किसानों की मौत हो चुकी है।