भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। पूरे देश में फैले किसान आंदोलन (farmer protest) की आग अब मध्य प्रदेश (madhya pradesh) की तरफ बढ़ रही है। हालांकि मध्यप्रदेश सरकार लगातार किसानों से संपर्क अभियान चला रही है। जहाँ कृषि कानूनों के फायदे बताए जा रहे हैं। इसी बीच भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने पुलिस और सरकार पर आरोप लगाया है। अनिल यादव (anil yadav) ने पुलिस और सरकार पर मारपीट का आरोप लगाते हुए वीडियो (video) जारी कर पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं। वहीं पुलिस ने उनके आरोप को निराधार बताते हुए कहा है कि अगर मारपीट हुई है तो सबूत दे। जिसके बाद कार्रवाई की जाएगी।
दरअसल भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने वीडियो जारी किया है। जिसमें उन्होंने पुलिस के द्वारा मारपीट पर आई चोटें दिखाते हुए कहा है कि पुलिस ने जबरदस्ती उठा कर थाने ले गई। उनके साथ अपराधियों जैसा सलूक किया गया। इतना ही नहीं पुलिस ने उनके घर की महिलाओं लड़कियों के साथ बदसलूकी की और बच्चों के साथ मारपीट भी की। पुलिस की कार्रवाई को अनुचित बताते हुए भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने कहा कि उन्हें गिरफ्तार करने आई पुलिस ने उनके परिवार के साथ छीना झपटी के साथ ही मारपीट भी की।
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इसके साथ ही भारतीय किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष का कहना है कि थाने में उनसे जबरदस्ती साइन कराए गए। जिनके बारे में उन्हें जानकारी नहीं है। किसान नेता अनिल यादव का कहना है कि मध्य प्रदेश सरकार तानाशाही पूर्ण रवैया से किसान आंदोलन को दबाना चाहती है। उन्होंने शिवराज सरकार (shivraj government) पर लोकतंत्र की हत्या का आरोप लगाते हुए कहा कि किसान नेताओं के साथ उनकी कार्रवाई अपनी जगह है लेकिन उन्होंने किसान नेताओं के परिवारों के साथ जबरदस्ती कर तानाशाही की हद पार की है।
दूसरी तरफ इस मामले में एसपी गोपाल धाकड़ का कहना है की पुलिस ने उन्हें अरेरा हिल्स से हिरासत में लिया था। जिसके बाद पूछताछ कर उन्हें शाम तक छोड़ दिया गया था। उन्होंने आरोप को निराधार बताते हुए कहा कि पुलिस ने उनके साथ कोई मारपीट या ज्यादती नहीं की गई है। एसपी ने कहा कि अगर ऐसा कुछ हुआ है तो किसान नेता सबूत दिखाएं। जिसके बाद हम जांच करेंगे।
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बता दें कि दिल्ली में चल रहे कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन की आग अब राजधानी तक पहुंच गई है। राजधानी के नीलम पार्क में किसान आंदोलन के समर्थन में आने वाले किसानों को पुलिस ने रोक दिया था। इसके साथ ही साथ 3 किसान नेताओं को हिरासत में ले लिया गया था। वही आंदोलन ना करने की स्थिति में किसानों ने सड़क पर ही नारेबाजी शुरू कर दी थी। जिसके बाद पुलिस ने हिरासत में ले लिया था।