पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने मंडी खत्म करना बताया नुकसानदायक, जानें पूरा मामला

Gaurav Sharma
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कांग्रेस दिग्विजय सिंह

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। कृषि बिल (Agriculture bill) के विरोध में किसानों का आंदोलन (Farmers Protest) 43वां दिन भी जारी रहा, जहां किसानों (Farmers) ने ठान ली है कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होगी तब तक वह प्रदर्शन (Protest) करते रहेंगे। वहीं किसानों ने आज ट्रैक्टर मार्च (Tractor March) निकाल कर विरोध जताया है। किसानों के आंदोलन को देखते हुए एक ओर जहां बीजेपी सरकार (BJP Government) लगातार घर-घर जाकर लोगों को कृषि बिल (Agriculture bill) को लेकर जागरूक (Awareness) कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस द्वारा किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए कृषि बिल के नुकसानों को गिनाया जा रहा है। इसी कड़ी में पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह (Digvijaya singh) ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए केंद्र सरकार (Central Government) के ऊपर निशाना साधा है। जिसमें उन्होंने केंद्र सरकार के द्वारा लाए गए कृषि बिल (Agricultural bill) के अनुसार मंडी खत्म करने का नुकसान बताया है।

खोजा ब्रदर्स के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज

ट्विटर (Twitter) पर ट्वीट करते हुए दिग्विजय सिंह (Digvijaya singh) ने शिवराज सरकार में कृषि मंत्री कमल पटेल के रिश्तेदार प्रदीप विष्णु पटेल की ओर से हंडिया थाने में खातेगांव के व्यापारी खोजा ब्रदर्स के खिलाफ 43 लाख की फसल खरीदने और फिर उसका पेमेंट नहीं करने के मामले के बारे में बताया है।

खोजा ब्रदर्स ने कि किसानों के साथ धोखाधड़ी

बता दें कि खोजा ब्रदर्स द्वारा देवास के कन्नौद-खातेगांव, होशंगाबाद, सीहोर और हरदा के करीब 100 से अधिक किसानों के साथ धोखाधड़ी करने का मामला सामने आया था। जिसके बाद से वह पुलिस की रिमांड पर जेल में है। खोजा ब्रदर्स ने सबसे पहले खातेगांव में 22 किसानों से 1.73 करोड़ रुपए के चेक का अनाज खरीदा, जिसके द्वारा दिए गए चेक को जब किसानों ने उपयोग करना चाहा तो वह सभी बाउंस हो गए। जिसके बाद किसानों की शिकायत पर देवास पुलिस ने उन्हें इंदौर से गिरफ्तार करने की कार्रवाई की।

अब लगाओ SDM और कोर्ट के चक्कर : दिग्विजय सिंह

दिग्विजय सिंह (Digvijaya singh) ने ट्विटर (Twitter) पर ट्वीट करते हुए लिखा है कि ‘मध्यप्रदेश भाजपा कृषि मंत्री कमल पटेल के सगे भतीजे प्रदीप विष्णु पटेल ने हंडिया थाने में खातेगांव के व्यापारी खोजा ट्रेडर्स के खिलाफ 43 लाख की फसल खरीद कर पेमेंट नहीं करने की रिपोर्ट दर्ज कराई है।

वहीं दिग्विजय सिंह ने कहा कि खोजा ट्रेडर्स ने किसान विरोधी कानून आने के बाद अपना मंडी का व्यापारी लायसेंस निरस्त करा लिया था। यदि प्रदीप ने यह कृषि उपज मंडी में बेची होती तो प्रदीप को पेमेंट दिलाने की जवाबदारी मंडी व मप्र शासन की होती। अब SDM कोर्ट के चक्कर लगाओ।

 

100 किसानों के साथ धोखाधड़ी का मामला

देवास और हरदा जिले में खोजा ब्रदर्स के खिलाफ करीब 100 किसानों के साथ धोखाधड़ी करने का मामला दर्ज कराया गया है। बता दें कि देवास जिले के गांव में रेहटी गांव में रहने वाले 2 व्यापारी भाइयों पवन खोजा और सुरेश खोजा ने खातेगांव-कन्नौद तहसील सहित हरदा, होशंगाबाद और सीहोर जिले के करीब 100 किसानों के साथ धोखाधड़ी की है। जिसमें उन्होंने किसानों से डॉलर चना और मूंग सहित अन्य फसल खरीद तो ली, लेकिन उन्हें फसल का भुगतान नहीं किया। जिसके बाद किसानों के दबाव बनाने पर दोनों भाइयों ने कुछ किसानों को चेक थमा दिया, लेकिन जब चेक को लेकर किसान बैंक पहुंचे तो वहां सभी चेक बाउंस हो गए।

एसडीएम को दिया आवेदन

किसानों के साथ हुए धोखाधड़ी को लेकर करीब 22 किसानों ने एकजुट होकर खातेगांव एसडीएम और हरदा एसडीएम को आवेदन दिया है। जिसमें उन्होंने लगभग 900 क्विंटल डॉलर चना और करीब 1900 क्विंटल मूंग दोनों व्यापारी भाइयों को बेचा है। किसानों ने बताया कि इसका मूल्य करीब 1 करोड़ 73 लाख 87 हजार 700 रुपए होता है। इसका अभी तक उन्हें भुगतान नहीं मिला है। ऐसे ही देवला गांव के भी कई किसानों ने दोनों व्यापारियों को अपना उपज बेचा था, लेकिन अभी तक उन्हें भी पेमेंट नहीं मिला है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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