MP में आज से लागू हुआ धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम 2020, CM बोले- एक नए युग का प्रारंभ

सीएम शिवराज सिंह

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट| मध्य प्रदेश (MadhyaPradesh) में अब बहलाकर, बलपूर्वक या धर्मांतरण करवाकर विवाह करने या करवाने वाले को एक से 10 साल तक की सजा हो सकती है| राज्यपाल आनंदी बेन पटेल (Anandiben Patel) की मंजूरी के बाद मध्यप्रदेश में धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम 2020 का अध्यादेश शनिवार से लागू हो गया। गृह विभाग (Home Ministry) द्वारा मध्यप्रदेश राजपत्र में धार्मिक स्वतंत्रता अध्यादेश-2020 को अधिसूचित कर दिया गया है।

मध्य प्रदेश के सभी कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षकों को नए कानून की कॉपी भेज दी गई है। गुरुवार को राज्यपाल के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने के बाद आज से यह कानून प्रदेश में लागू हो गया है| शिवराज कैबिनेट के अनुमोदन के बाद अध्यादेश के मसौदे को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की मंजूरी के लिए भेजा गया था।इस कानून के तहत जबरदस्ती धर्म परिवर्तन कर शादी करने वालों को अधिकतम 10 साल की सजा और एक लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

विधानसभा में लाने की थी तैयारी
पहले सरकार इस विधयेक को विधानसभा सत्र में लाना चाह रही थी| लेकिन कोरोना के चलते विधानसभा सत्र रद्द होने के कारण इसे विधानसभा में पेश नहीं किया जा सका| इसके बाद ही अध्यादेश लाने का निर्णय लिया गया था। 29 दिसंबर को शिवराज सरकार ने कैबिनेट बैठक में अध्यादेश के ड्राफ्ट को अनुमोदन दे दिया था। जिसके बाद अध्यादेश के मसौदे को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की मंजूरी के लिए भेजा गया था।

मध्यप्रदेश में एक नए युग का प्रारंभ-सीएम
धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम 2020 के लागू होने पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर लिखा-मध्यप्रदेश में एक नए युग का प्रारंभ! आज हम ने ‘धार्मिक स्वतंत्रता अध्यादेश-2020’ को अधिसूचित कर दिया गया है। हम हमारी बेटियों की सुरक्षा और भविष्य के साथ किसी भी प्रकार का खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं करेंगे। बेटियाँ सशक्त होंगी और आत्मनिर्भर मप्र के निर्माण में योगदान देंगी।

कानून के मुख्य प्रावधान
इस कानून में लव जिहाद जैसे मामलों में सहयोग करने वालों को भी मुख्य आरोपी बनाया गया। उन्हें अपराधी मानते हुए मुख्य आरोपी की तरह ही सजा होगी। बहला-फुसलाकर, धमकी देकर जबर्दस्ती धर्मांतरण और शादी करने पर 10 साल की सजा का प्रावधान है, यह अपराध गैर जमानती होगा। धर्मांतरण और धर्मांतरण के बाद होने वाले विवाह के 2 महीने पहले डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को धर्मांतरण और विवाह करने और करवाने वाले दोनों पक्षों को लिखित में आवेदन देना होगा। बगैर आवेदन दिए धर्मांतरण करवाने वाले धर्मगुरु, काजी, मौलवी या पादरी को भी 5 साल तक की सजा का प्रावधान है। धर्मांतरण और जबरन विवाह की शिकायत पीड़ित, माता-पिता, परिजन द्वारा की जा सकती है। अपने धर्म में वापसी करने पर इसे धर्म परिवर्तन नहीं माना जाएगा। पीड़ित महिला और पैदा हुए बच्चे को भरण-पोषण का हक हासिल करने का प्रावधान है। विवाह शून्य घोषित करने के साथ महिला और उसके बच्चों के भरण पोषण का हकदार करने का प्रावधान भी किया गया है। ऐसे विवाह से जन्मे बच्चे माता-पिता की संपत्ति के उत्तराधिकारी होंगे।


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