दरअसल 28 मार्च को मध्य प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ( Minister Vishwas Sarang) हमीदिया अस्पताल के दौरे पर अस्पताल पहुंचे थे। लेकिन अस्पताल की तत्कालीन डीन डाॅ. अरुणा कुमार को वहां पहुंचने में किसी कारणवश 15 मिनट की देरी हो गई। मंत्री जी को यह नागवार गुजरा और उन्होने डीन डॉ.अरुणा कुमार की वहीं क्लास लगा दी। मंत्री सारंग की नाराजगी यहीं नहीं खत्म हुई, उन्होंने तत्काल डॉ.अरुणा यादव को डीन पद से हटा कर उनकी जगह काॅलेज के ही ऑर्थाेपेडिक डिपार्टमेंट के प्राेफेसर डाॅ.जितेन शुक्ला काे नया प्रभारी डीन नियुक्त कर दिया। साथ ही ऑर्थाेपेडिक डिपार्टमेंट के प्राेफेसर डाॅ. संजीव गाैर का तबादला शहडाेल और मेडिसिन डिपार्टमेंट के प्रमुख डाॅ. केके कांवरे का तबादला छिंदवाड़ा कर दिया।
बता दें कि डॉ. केके कांवरे कैंसर पेशेंट है और कुछ दिनों पहले उनका कैंसर का ऑपरेशन हुआ है। वहीं 1 साल बाद उनका रिटायरमेंट भी है। दूसरे डॉ. संजीव गौर का भी जल्द रिटायरमेंट होना है। ऐसे में मेडिसिन विभाग के 29 डॉक्टर मंत्री जी के इस फैसले के खिलाफ लामबंद हो गए है और सभी ने इसका विरोध जताते हुए सामूहिक इस्तीफे सौंप दिए है।
राज्य सरकार द्वारा 4 जून 2019 को सरकारी कर्मचारियों के लिए जारी तबादला नीति के तहत मान्यता प्राप्त संस्थाओं के अधिकारियों को रिटायरमेंट में 4 साल की छूट है। इसके अलावा नीति में यह स्पष्ट प्रावधान है कि रिटायरमेंट के 1 साल या उससे कम समय बचने पर ट्रांसफर नहीं किया जाएगा। बावजूद इसके गुस्साए मंत्री जी ने सभी नियमों को ताक पर रख कर दोनों डॉक्टरों के तबादले कर दिए। ऐसे में यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि नेता और मंत्री स्वयं ही नियमों की धज्जियां उड़ा रहें है और दूसरों को नियमों का पाठ पढ़ा रहें है। एक साथ 29 डॉक्टरों का इस्तीफा देना अस्पताल की चिकित्सीय व्यवस्था को काफी प्रभावित कर सकता है। डॉक्टरों के इस्तीफे को लेकर मंत्री जी की अभी तक कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
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