डेस्क रिपोर्ट, भोपाल। सिवनी जिले में आदिवासी युवकों की मौत के आरोपियों को पुलिस द्वारा बजरंग दल और अन्य हिंदू संगठनों से जुड़ा होना बताना पुलिस को महंगा पड़ा, जिसके बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नाराजगी के चलते जिले के पुलिस अधीक्षक कुमार प्रतीक को हटा दिया गया है।
आपको बता दे, सिवनी जिले में गोकशी के आरोप में आदिवासी युवक माब लिंचिंग का शिकार हुए थे।
संघ ने पुलिस के इस बयान पर आपत्ति जाहिर की थी, जिसके बाद पुलिस अधीक्षक ने संशोधित बयान जारी कर मामले को संभालने की कोशिश की लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। राज्य सरकार भी इस बयान से नाराज थी।
सोशल मीडिया पर विपक्षी दलों द्वारा पुलिस के इस विवादास्पद बयान की आड़ में सरकार पर तमाम आरोप लगाए गए थे। सरकार ने अब इस केस के जांच की जिम्मेदारी स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआइटी) को सौंप दी है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार को मामले की समीक्षा की और एसआइटी को टीम गठित करने के निर्देश दिए हैं वहीं घटना क्षेत्र के कुरई थाना और बादलपार चौकी के सभी अधिकारियों-कर्मचारियों सहित सिवनी के पुलिस अधीक्षक को हटाने के निर्देश दिए हैं।
एसआइटी घटना की हर पहलू की जांच के लिए रविवार को सिवनी पहुंचेगी। जानकारी के मुताबिक, टीम सीधे सिमरिया गांव, बादलपुरा चौही और कुरई थाने जाएगी और इस मामले से जुड़े दस्तावेजों की जांच करेगी। इसके अलावा टीम सोमवार को सिवनी सर्किट हाउस में जनप्रतिनिधियों से मुलाकात करेगी और इसके बाद कलेक्टर, एसपी, एडीएम, आदि के साथ बैठक भी करेगी।
बता दे, 4 मई को भीड़ ने तीन जनजातीय युवकों को गोमांस रखने के शक में बुरी तरह से पीटा था, जिसमें दो की मौत हो गई थी, जिसके बाद 12 लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया था।
जब सिमरिया गांव की इस घटना को लेकर सियासत शुरू हुई, तो वर्तमान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने जांच के लिए छह सदस्यीय टीम गठित की थी। टीम ने पिछले दिनों अपनी रिपोर्ट प्रदेश संगठन को सौंपी है।
शनिवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने आवास पर मामले की समीक्षा करते हुए एसआइटी गठित कर 10 दिन में रिपोर्ट मांगी है। इसके बाद गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव (एसीएस) डा. राजेश राजौरा के नेतृत्व में एसआइटी गठित की गई है। इसमें अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक राज्य औद्योगिक सुरक्षा बल अखेतो सेमा और माध्यमिक शिक्षा मंडल के सचिव श्रीकांत भनोट भी शामिल हैं।