डिंडोरी।प्रकाश मिश्रा।
मां-बाप अपने बच्चों की खुशियों और उन्हें पालने के लिए लिए क्या क्या जतन करते हैं उन्हें समाज में रहने के काबिल बनाने के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर देते हैं लेकिन अफसोस तब होता है। जब यही बच्चे बड़े होकर उनकी खुशियों को दरकिनार करते हुए उन्हें दर दर की ठोकरें खाने के लिए अकेला छोड़ जाते हैं। अपनों से मिले इन घावों का दर्द जीवन के उस दर्द से कहीं अधिक होता है। जिसमें उन बच्चों को पालन पोषण करने के लिए जो संघर्ष करने के दौरान मिला था। इन बुजुर्गों के चेहरे पर नजर आती ये झुर्रियां अपने संघर्ष भरे जीवन की गाथा खुद बयां करती हैं।
ऐसा ही एक मामला डिंडोरी जिले के जनपद समनापुर में सामने आया। जहां एक 70 वर्षीय वृद्ध अपने चार पुत्रों के होने के बाद भी अपनो से दूर एक टूटी हुई झोपड़ी में रहकर अपना गुजर बसर करने को मजबूर है। समनापुर निवासी 70 वर्षीय बुद्धू लाल के चार बेटे हैं। चारों बेटे मजदूरी कर अपने परिवार के साथ अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं। बुद्धू लाल की माने तो जब तक वह कमा कमा कर इनक भरण पोषण करता रहा तब तक सभी साथ में रहते थे। बुजुर्ग अवस्था होने के कारण अब वह कहीं मजदूरी भी नहीं कर पाता है विगत वर्षों में पत्नी के निधन के बाद वह पूर्णता अकेला हो गया और उनके बेटों ने भी उनका साथ छोड़ दिया।
अब बुद्धू लाल के सामने जीवन यापन करने की विकट समस्या आ खड़ी हुई है। वृद्ध के हालातों की जानकारी मीडिया व जनप्रतिनिधियों के माध्यम से उच्चाधिकारियों तक पहुंची ।समनापुर वृत्त के नायब तहसीलदार ग्राम सरपंच ने जाकर बुजुर्ग के हाल जाने और उससे खाने पीने के लिए राशन उपलब्ध कराया। वहीं उसके बेटों को बुलाकर बुजुर्ग को साथ में रखने की हिदायत भी दी थी। किंतु एक बार फिर बुजुर्ग उसी झोपड़ी में रहने को मजबूर है बताया जाता है कि बेटों ने उसे अपने साथ रखने से इंकार कर दिया वही इस संबंध में जब समनापुर में ही रह रहे उनके बेटों से चर्चा की गई तो उन्होंने कहा कि उनके पिता स्वयं ही उनके साथ नहीं रहना चाहते बहरहाल उनकी परिवारिक कहानी जो भी हो बुजुर्ग को इस समय अपनो के सहारे की जरूरत है जो प्रशासन के हस्तक्षेप से संभव हो सकता है।