भोपाल डेस्क रिपोर्ट।कोरोना की इस भयावहता में लोगों के लिए संसाधन जुटाने और उनका नैतिक बल बढ़ाने में जहां मुख्यमंत्री जोर शोर से लगे हैं वही उन्हीं के सरकार के मंत्री सिस्टम की कमियां गिनाते नजर आ रहे हैं। ग्वालियर में शनिवार- रविवार की रात के वायरल हुए इस वीडियो ने सरकारी व्यवस्थाओं पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है।
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मध्य प्रदेश सरकार के ऊर्जावान ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर। यह हमेशा सुर्खियों में रहते हैं। लेकिन कई बार ऐसे काम करने के कारण भी जो वास्तव में आम जनता के लिए अनुकरणीय उदाहरण बन जाते हैं। जैसे नाले में उतर कर सफाई करना, खुद झाड़ू उठाकर सरकारी ऑफिस के शौचालयों को स्वच्छ करना या फिर अपने कंधे पर बोरी लाकर चल देना। यह सारी चीजें न केवल उन्हें आम जनता से जोड़ती है बल्कि यह भी बताती है कि एक नेता को सियासत की बुलंदियों पर पहुंचने के बाद भी जनता से कैसे जुड़े रहना चाहिए। लेकिन शनिवार-रविवार की दरमियानी रात हुजूर ने कुछ ऐसा किया जो सरकारी सिस्टम पर सवाल खड़े हो गये। साहब पहुंच गए जेएएच हॉस्पिटल के कोविड सेंटर में और वहां जांच करने के लिए मौजूदा स्टाफ की गैर मौजूदगी ने उन्हें नाराज कर दिया। फिर क्या था ,आनन फानन में उन्होंने कलेक्टर को फोन लगा डाला और कहा कि “यह व्यवस्थाएं दुरुस्त होनी चाहिए। यह सब ठीक नहीं है ।मैं मरीज के रूप में यहां आया और मुझे कोई नहीं मिला।”
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यहां तक भी कोई दिक्कत नहीं कि एक जनप्रतिनिधि अगर मंत्री है तो उसका फर्ज है कि वह सिस्टम की कमियों को जांचे और उन्हें दूर करने का प्रयास करें ।लेकिन इन सबके बीच साहब के साथ मोबाइल पर पूरा घटनाक्रम शूट कर रहा व्यक्ति उसे वायरल करता है और यह बताने की कोशिश की जाती है कि साहब आधी रात को भी जनता के लिए जाग रहे हैं। लेकिन जरा रुकिए ,मंत्रीजी,अब आप विपक्ष में नहीं है ।आप सरकार में हैं और सरकार में होते हुए आप को सरकार ने ग्वालियर जिले में कोरोना से निपटने की जिम्मेदारी भी दे रखी है तो आपका फर्ज है कि जहां जहां सिस्टम लीक है वहां वहां उसे जाकर दुरुस्त करने की कोशिश करें ना कि सार्वजनिक रूप से उन्हें उजागर करें ।यह काम तो विपक्ष का होता है।
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लेकिन शायद इसमें आपकी गलती नहीं। पहले आप विपक्षी विधायक हुआ करते थे और जब कांग्रेस की सरकार बनी तब आपको मंत्री जरूर बनाया गया लेकिन सिंधिया गुट से जुड़े होने का खामियाजा आपको उठाना पड़ा और आप सत्ता में भी हाशिए पर रहे ।एक बार तो आप को उठकर कमलनाथ जी से भी कहना पड़ा था कि “चलो चलो का शब्द क्या है! क्या हम अपनी बात भी नहीं कहेंगे।” लेकिन अब आप बीजेपी में है। शिवराज काबीना के मंत्री हैं। अनुशासन की डोर से बंधे हुए बीजेपी की सरकार के मंत्री के नाते आपका कर्तव्य है कमियों पर पर्दा डाले और अच्छाइयों को हाईलाइट करें ।आज आपने इसके उलट वह काम कर दिया जो एक विपक्षी विधायक को करना था। जब एक मंत्री ही सार्वजनिक रूप से अपने अधीनस्थों की कमियों को उजागर करेगा तो फिर उनका मनोबल कैसे बढेगा! यह भी सोचने वाली बात है।