भोपाल।
एमपी में जारी सत्ता के खेल के बीच कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मंत्री मुकेश नायक ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह पर टिप्पणी कर सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है।मुकेश के बयान के बाद सरकार में खलबली मच गई है। जहां विपक्ष के नेता इसे हथियार बनाकर सरकार की घेराबंदी कर रहे है वही उन्हीं की पार्टी के नेता मुकेश पर जमकर हमला बोल रहे है। कमलनाथ सरकार में संसदीय कार्य मंत्री गोविंद सिंह के बाद कैबिनेट मंत्री सुखदेव पासे ने भी मुकेश नायक को जमकर लताड़ लगाई है।
आज मीडिया से चर्चा करते हुए कैबिनेट मंत्री सुखदेव पासे ने मुकेश नायक पर बोलते हुए कहा कि आज अगर मुकेश नायक को कोई अच्छे पद मिल जाए तो वह चुप हो जाएंगे। नायक चुनाव हार चुके हैं। उनके पास कोई पद नहीं है। आज अगर उन्हें कोई पद दे दिया जाता है तो वह वापस से कांग्रेस पार्टी की तरफ से ही बात करेंगे। बता दे कि मुकेश नायक ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह पर आरोप लगाते हुए कहा था कि प्रदेश में आज कांग्रेस की जो भी स्थिति है उसके जिम्मेदार दिग्विजय सिंह है।
वहीं कांग्रेस के 16 बागी विधायकों पर बोलते हुए उन्होंने कहा हमारे विधायकों को बंधक बनाकर रखा गया है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री के द्वारा उन लोगों को हाईजैक कर लिया है। जहां उन्हें सारे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों मोबाइल, टेलीविजन सहित मीडिया से भी दूर रखा गया है। विधायकों को बंगलुरु से बाहर नहीं निकलने दिया जा रहा। और जब पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह उन विधायकों से मुलाकात करने पहुंचे तो उन पर भी प्रशासन का पहरा लगा दिया गया।
बीजेपी को आड़े हाथों लेते हुए पांसे ने कहा कि हमने 3 बार फ्लोर टेस्ट दिया। किंतु बीजेपी अविश्वास प्रस्ताव पेश करके सदन से भाग खड़ी हुई। जितने काम हमने किए हैं वह बीजेपी की सरकार 15 साल में नहीं कर पाई। बीजेपी में निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि बीजेपी खरीद-फरोख्त की राजनीति कर रही है और इन सब में जनता को भुगतना पड़ रहा है।
बागी विधायकों को चाहिए कि वह विधानसभा में आकर अपनी बात रखें। मध्य प्रदेश की सरकार मध्य प्रदेश से चल सकती है बेंगलुरु से नहीं। ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के सवाल पर उन्होंने मीडिया को बताया कि कांग्रेस ने हमेशा ही ज्योतिरादित्य सिंधिया को सम्मान दिया है। कांग्रेस के अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से लेकर राहुल गांधी एवं प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सिंधिया को पार्टी में एक ऊंचा दर्जा दिया था किंतु केंद्र में ना होने की वजह से उन्हें केंद्रीय मंत्री नहीं बनाया जा सका जिस वजह से सिंधिया की नाराजगी थी और इसलिए वह पार्टी से बाहर चले गए।