भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश(Madhyapradesh) में प्रकृति की दोहरी मार जारी है। एक तरफ जहां कोरोना(Corona) के बड़े मामले सामने आ रहे हैं वहीं दूसरी तरफ लगातार हो रही बारिश(Rain) से प्रदेशवासियों का जीवन अस्त व्यस्त हो गया है। प्रदेश के कई इलाकों में बाढ़(Flood) की वजह से जनजीवन प्रभावित हुई है। भारी बारिश की वजह से लगातार दीवारें गिरने से हादसे हो रहे हैं। इसी बीच राजधानी में डेढ़ सौ साल पुरानी मोती महल(Moti Mahal) इमारत का एक हिस्सा गिरने से करीबन 2 दर्जन से ज्यादा गाड़ियां मलबे के नीचे दब गई है। जैसे ही दीवार गिरी आसपास के इलाकों में हड़कंप मच गया। हालांकि किसी भी इंसान के हताहत होने की खबर नहीं है।
दरअसल सोमवार की सुबह भोपाल(Bhopal) के फतेहपुर इलाके में भारी बारिश की वजह से डेढ़ सौ साल पुरानी मोती महल इमारत का एक हिस्सा भरभरा कर गिर पड़ा। जिसके अंदर करीबन 2 दर्जन से अधिक गाड़ियां दब गई है। जिसके बाद राहत एवं बचाव कार्य मौके पर पहुंच मलबे को हटाने का काम कर रही है। खबरों के मुताबिक अभी तक किसी की जान के हताहत होने की खबर नहीं है। हालांकि मोती महल की पहली मंजिल पर अवैध रूप से मजदूर रहने लगे थे किंतु लॉकडाउन(Lockdown) में वह सब अपने घर वापस चले गए हैं।
दूसरी तरफ आसपास के लोगों का कहना है कि इमारत का गिरना प्रशासन की गलती है। प्रशासन द्वारा उसे कोई देखरेख नहीं की जा रही थी। लोगों ने यह भी बताया कि इससे पहले भी इसका एक हिस्सा गिर चुका है। बावजूद इसके प्रशासन(Administration) लगातार इस मामले की अनदेखी कर रहा था। लकड़ियों के सहारे खड़ी इन दीवारों में अब जान नहीं रह गई है। दीवार के गिरने से किसी की मोटरसाइकिल(Motorcycle) तो किसी की नई कार(Car) दबकर मलबे के नीचे चली गई है। जिसके बाद एसडीआरएफ(SDRF) की एक टीम घटनास्थल में मौजूद है और वाहनों को मलबे से निकालने का काम जारी है।
हालांकि यह पहली घटना नहीं है जब लगातार बारिश की वजह से दीवार के गिरने से जानमाल की क्षति हुई है। इससे पहले भोपाल के कोलार इलाके में 5:00 बजे पैलेस ऑर्चर्ड कॉलोनी की 40 फीट लंबी दीवार गिर गई थी। जिसमें दबकर एक शख्स की मौत हो गई थी वही दो लोग घायल भी हो गए हैं। वहीं इलाके से कुछ लोगों को दूसरी जगह शिफ्ट भी किया जा चुका है।
मोती महल का निर्माण भोपाल की तत्कालीन नवाब कुदसिया बेगम ने 1819-1837 में करवाया था। मोती महल से शौकत महल में जाने के लिए इसी दरवाजे के ऊपर से आने जाने के लिए जोड़ा गया है। महल के पास ही सदर मंजिल भी है। जो कुदसिया बेगम का पहला दरबार था।