MP: शिक्षकों के बाद अब डीएफओ की होगी परीक्षा, इस आधार पर तय होंगे अधिकारियों के परफॉर्मेंस

Kashish Trivedi
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश (madhya pradesh) में शिक्षकों के बाद अब डीएफओ (DFO) भी परीक्षा में शामिल होंगे। अधिकारियों के कार्य में गति लाने के लिए और प्रशासनिक कसावट के लिए वन विभाग द्वारा वन मंडल अधिकारी के लिए प्रशासनिक दक्षता परीक्षा (Administrative efficiency test) शुरू की जाएगी। जिसके लिए 12 तरह के पैरामीटर (parameter) सेट किए गए हैं।

वन विभाग द्वारा मैदानी अधिकारियों के प्रशासनिक दक्षता परीक्षा का अभियान शुरू किया गया है। इसके लिए उन्हें 12 पैरामीटर पर खरा उतरना होगा। जहां 120 में से उनके लिए 80 अंक लाना अनिवार्य होगा। इससे कम अंक लाने के बाद उन्हें नोटिस दी जाएगी। इसके बावजूद सुधार न होने पर उनके अंक CR में दर्ज किए जाएंगे। इतना ही नहीं कार्य में लापरवाही बरतने वाले अधिकारी को 20:50 फार्मूले के दायरे में लाकर मैदानी स्थापना से हटाया भी जा सकेगा। माना जा रहा है कि अधिकारियों के कार्यों में लापरवाही को देखते हुए सरकार द्वारा यह बड़ा निर्णय लिया गया है।

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इस मामले में वन बल प्रमुख राजेश श्रीवास्तव का कहना है कि जिला स्तर पर प्रशासनिक व्यवस्था में कसावट लाने की व्यवस्था है। इससे प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और अधिकारी बेहतर काम करेंगे। जिसके लिए प्रशासनिक दक्षता परीक्षा का आयोजन किया जा रहा है। इसके साथ ही तकनीकी शाखा में प्रशासनिक दक्षता सॉफ्टवेयर विकसित किया जाएगा। जहां प्रशासनिक दक्षता के बड़े पैमाने तय किए गए। इसके लिए अलग-अलग अंक दिए जाएंगे। वहीं अधिकारियों को हर महीने 1 से 10 तारीख के बीच अपने सॉफ्टवेयर की जानकारी का प्रमाण देना होगा। जिसके बाद महीने की 11 तारीख से अधिकारियों को उनके द्वारा किए गए कार्य शैली के अंक बताए जाएंगे। इस आधार पर अधिकारी का परफॉर्मेंस तय किया जाएगा।

बता दें कि विभाग को लगातार आला अधिकारियों द्वारा शिकायत मिल रही थी कि जिलों में अधिकारियों द्वारा कार्य शैली प्रभावित की जा रही है। जिसके बाद प्रशासनिक दक्षता परीक्षा में शामिल होने वाले अधिकारियों को अपनी कार्यशैली से 120 में से बेहतर अंक हासिल करने होंगे। ऐसा नहीं होने की स्थिति में अधिकारी को 20:50 फार्मूले के तहत कार्रवाई तय की जाएगी। ज्ञात हो कि 20:50 फार्मूला के तहत ऐसे अधिकारी, जो 20 साल की सेवा और 50 साल की उम्र पूरी कर चुके हैं को भारत सरकार के नियम अनुसार अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जाती है।


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