भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। पार्टी के विपरीत आवाज बुलंद करने वाले विधायक (MLA) पर बीजेपी (BJP) कार्यवाही कर सकती है। इसके लिए बीजेपी विधायक को वीडी शर्मा (VD Sharma) ने प्रदेश कार्यालय तलब किया गया है। इतना ही नहीं सूत्रों की माने तो बीजेपी विधायक से पार्टी के वरिष्ठ नेता भी नाराज चल रहे हैं। इसका कारण है विंध्य प्रदेश के लिए बीजेपी विधायक का पार्टी के विरुद्ध जाकर आवाज बुलंद करना।
दरअसल पिछले छह दशक से मध्य प्रदेश से अलग विंध्य राज्य की मांग की जा रही है। अब इसमें बीजेपी विधायक नारायण त्रिपाठी (Narayan Tripathi) का भी नाम जुड़ गया है। बीजेपी विधायक नारायण त्रिपाठी उस वक्त सुर्खियों में आ गए जब उन्होंने विंध्य प्रदेश की मांग को लेकर क्षेत्रीय नेताओं के साथ अपने निवास पर बैठक की थी। इतना ही नहीं बीजेपी विधायक ने भी विंध्य प्रदेश के गठन के लिए रणनीतियां भी तय की थी। जिसकी जानकारी पार्टी मुख्यालय पहुंचने के बाद प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा ने बीजेपी विधायक नारायण त्रिपाठी को प्रदेश कार्यालय तलब किया है।
सूत्रों की माने तो नारायण त्रिपाठी से पार्टी के वरिष्ठ नेता भी नाराज है। माना जा रहा है कि नारायण त्रिपाठी पर बिना अनुमति लिए बैठेके करने और बयान देने का आरोप है। जिसके बाद उन पर कार्रवाई की जा सकती है। सतना जिले की मैहर सीट से विधायक रहे नारायण त्रिपाठी मध्य प्रदेश की मांग को लेकर एक बड़ा आंदोलन खड़ा करने की तैयारी में है। जिसके लिए वह सभी जिलों में सभाएं करने और नेताओं को जोड़ने की कार्य में लगे हुए हैं।
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इतना ही नहीं से पहले भी नारायण त्रिपाठी ने कई बार विंध्य प्रदेश को मध्य प्रदेश से अलग राज्य घोषित करने की मांग को लेकर बड़ा बयान दिया है। जहां विंध्य प्रदेश की अलग मांग करते नजर आए थे। इतना ही नहीं नारायण त्रिपाठी ने यह भी कहा था कि मध्य प्रदेश का बंटवारा होगा और विंध्य प्रदेश का निर्माण किया जाएगा।
बता दें कि विंध्य प्रदेश को अलग करने की मांग मध्य प्रदेश के गठन के वक्त से ही सामने आई है। जहां मध्यप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे स्वर्गीय श्रीनिवास तिवारी ने विंध्य प्रदेश के अलग करने की मांग की थी। इतना ही नहीं विंध्य से सांसद विधायक रहे स्वर्गीय सुंदरलाल तिवारी ने भी केंद्र सरकार को पत्र लिखकर मध्य प्रदेश से अलग विंध्य प्रदेश की मांग की थी। इसके बाद केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़, झारखंड और उत्तरांचल के गठन पर सहमति दी लेकिन विंध्य का प्रस्ताव जस का तस रह गया था। इसके बाद 2 साल पूर्व भोपाल में हुए विंध्य उत्सव कार्यक्रम में भी विंध्य राज्य की अलग मांग एक बार फिर बुलंद की गई।