MP News: पुलिसकर्मियों के प्रमोशन प्रक्रिया में फंसा पेंच, न्यायालय जाने की तैयारी

Kashish Trivedi
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katni

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश (madhya pardesh) में लंबे इंतजार के बाद शिवराज सरकार (shivraj government) ने पुलिस प्रमोशन (police promotion) के लिए नियम बनाए थे। लेकिन शिवराज सरकार द्वारा पदोन्नति के लिए बनाए गए नियम पर अब विवाद शुरू हो गया है। बताया जा रहा है कि इन नियम में कई तरह की खामियां है। जिसके फलस्वरूप एक बार फिर से पुलिस प्रमोशन के नियम में बदलाव किया जाएगा।

दरअसल मध्य प्रदेश में मई 2016 से पदोन्नति में आरक्षण (reservation) के नियम समाप्त कर देने से प्रमोशन पर रोक लगा दी गई थी। जिसके बाद लंबे समय तक लंबित होने कारण प्रदेश में पुलिसकर्मियों की पदोन्नति रुक गई थी। इस मामले में शिवराज सरकार ने नए नियम के तहत पुलिसकर्मियों को पदोन्नति देने के लिए बीच का रास्ता निकाला था। अब इन नियमों में पेच फंसा दिखाई दे रहा है।

कहा जा रहा है कि वर्तमान में निरीक्षक के खाली 800 पदों पर सिर्फ 10 साल की सेवा पूरी करने वाले को ही पदोन्नति दी जाएगी। जबकि सब इंस्पेक्टर (sub inspector) से इंस्पेक्टर (inspector) के लिए केवल 150 पद ही भरे जा सकेंगे। ऐसी स्थिति में प्रदेश के सैकड़ों सब इंस्पेक्टर को इस नियम के तहत प्रमोशन का लाभ नहीं मिल सकेगा। इतना ही नहीं इस नए नियम के तहत 10 वर्ष की सेवा प्राप्त करने वाले अधिकारियों को ही पद नाम के योग्य माना जाएगा।

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ऐसी स्थिति में 2012 की सीधी भर्ती के उप निरीक्षक पदोन्नति प्रक्रिया से वंचित रह जाएंगे। दरअसल विभागीय रूप से पदोन्नति कर्मचारी अधिकारी के 10 वर्ष पूर्ण नहीं करने के कारण पदोन्नति नहीं हो पाएगी और बिना पदोन्नति के ही अधिकारी सेवानिवृत्त (retire) हो जाएंगे। जिससे जूनियर को पदोन्नति का लाभ मिलेगा। वहीं सीनियर इस नए नियम के तहत पदोन्नति से वंचित रहेंगे।

वही शिवराज सरकार के टारगेट अनुसार 18000 पुलिस कर्मचारियों को प्रमोशन देना था।जबकि नए नियम के तहत इंस्पेक्टर के 150, सब इंस्पेक्टर के 500, एएसआई (ASI) के 1000 और 1000 कॉन्स्टेबल (constable) वर्ग को ही प्रमोशन प्रक्रिया का लाभ मिल पाएगा। अब ऐसी स्थिति में पुलिस पदोन्नति पदनाम के लिए यह मामला न्यायालय (court) के समक्ष पेश किया जाएगा। माना जा रहा है कि न्यायालय के समक्ष पेश होने के कारण पदनाम पदोन्नति की प्रक्रिया एक बार फिर से बाधित होगी और लंबे समय तक अधिकारियों को फिर से प्रमोशन के लिए इंतजार करना होगा।


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