भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश (madhya pradesh) में कोरोना (corona) के बढ़ते प्रभाव के बीच अब 1 से 8वीं तक के स्कूल खुलने (MP school reopen) की संभावना कम नजर आ रही है। फिलहाल स्कूल खोलने पर रोक लगा दी गई है। बावजूद इसके मध्य प्रदेश के कई जिलों में स्कूल संचालकों द्वारा निजी स्कूलों की फीस में बढ़ोतरी की जा रही है। वहीं आर्थिक तंगी के बावजूद निजी स्कूलों द्वारा अभिभावकों पर फीस अदायगी के लिए दबाव बनाया जा रहा है।
दरअसल मध्यप्रदेश में एक बार फिर से नए सत्र की पढ़ाई ऑनलाइन माध्यम (online medium) से कराई जा रही है। अचानक से बड़े कोरोना संक्रमण के मामले को देखते हुए 1 से 8वीं तक के स्कूल खोले जाने पर रोक लगा दी गई है। वही ऑनलाइन कक्षा में बच्चे नए सत्र की पढ़ाई शुरू कर चुके हैं। इसी बीच निजी स्कूलों (private schools) द्वारा सत्र की फीस में 40 से 50 फीसद की वृद्धि कर दी गई है। अभिभावकों पर फीस जमा करने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। जिससे अभिभावकों परेशान है। उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (shivraj singh chauhan) से बड़ी मांग की है।
Read More: जिंदगी से जंग लड़ते हुए कोरोना से हारे वॉरियर्स, एसआई- एएसआई की मौत
दरअसल पालक महासंघ ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर निजी स्कूलों द्वारा फीस बढ़ोतरी नहीं करवाने और शिक्षण शुल्क लिए जाने की मांग की है। पालक महासंघ का कहना है कि पिछले साल से अधिक कोरोना संक्रमण की स्थिति इस साल भयावह बनी हुई है। ऐसी स्थिति में स्कूल खुलने की संभावना कम नजर आ रही है। अब यदि ऐसे में निजी स्कूलों द्वारा फीस बढ़ोतरी की जाएगी तो यह पालकों के ऊपर आर्थिक दबाव है।
इधर शिक्षण शुल्क को लेकर स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा आदेश जारी होने के बाद भी कई निजी स्कूलों द्वारा फीस बढ़ोतरी की जा रही है। इस मामले में अब बाल आयोग ने स्कूल शिक्षा मंत्री को पत्र लिखा है। वही बाल आयोग द्वारा फीस बढ़ोतरी को लेकर चिंता जताई गई है। आयोग ने पत्र में लिखा है कि शैक्षणिक शुल्क को लेकर आवश्यक दिशा निर्देश जारी किए जाने के बाद भी कई निजी स्कूलों द्वारा शिक्षण शुल्क के अतिरिक्त शुल्क लिए जा रहे हैं। वहीं स्कूलों ने फीस में 10% की वृद्धि कर दी है। ऐसे अभिभावकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बाल आयोग ने मांग की है कि इस सत्र के लिए भी स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा निजी स्कूलों के लिए दिशानिर्देश जारी किए जाएं।
बताया जा रहा है कि पिछले सत्र में शासन की तरफ से शिक्षण शुल्क लेने के आदेश जारी किए गए थे। वहीं इस सत्र में कोई स्थिति स्पष्ट नहीं है। जिसके बाद शिक्षण प्रशासन द्वारा एनुअल चार्ज, नामांकन शुल्क, कंप्यूटर शुल्क, सपोर्ट शुल्क वसूले जा रहे हैं। साथ ही कई स्कूलों ने फीस में 20% की बढ़ोतरी कर दी है।