भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश में निजी स्कूलों (MP School) पर नकेल कसना शुरू हो गया है। दरअसल स्कूल की ट्यूशन पढ़ाने से पहले स्कूल संचालकों को अपने खर्च का ब्यौरा देना होगा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार अब निजी स्कूलों (private school) की अपने ट्यूशन फीस (tuition fees) के नाम पर मनमानी नहीं चलेगी। निजी स्कूलों को अपने ट्यूशन फीस सहित अन्य गतिविधि खर्च की जानकारी स्कूल शिक्षा विभाग (school education department, MP) को उपलब्ध करानी होगी।
सुप्रीम कोर्ट (supreme court) ने आदेश दिया कि स्कूलों को बताना होगा कि वह बच्चों से जो Fees ले रहे हैं वह किस मद में वसूल किए जा रहे हैं। इसके लिए उन्हें अलग-अलग हेड बताने होंगे। वही सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय लिया है कि स्कूलों को 2 सप्ताह के अंदर यह जानकारी ऑनलाइन (online) राज्य शासन को उपलब्ध करानी होगी।
ज्ञात हो कि स्कूलों के ट्यूशन फीस मामले को लेकर जागृत पालक संघ, मध्य प्रदेश द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। जहां कहा गया था कि निजी स्कूल (MP School) ट्यूशन फीस के नाम पर मनमानी कर रहे हैं। जिसके बाद अब सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच ने अपना अंतिम आदेश सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार निजी स्कूल अपने विभिन्न वसूले जा रहे फीस की जानकारी स्कूल शिक्षा विभाग मध्यप्रदेश को उपलब्ध कराएंगे। यह जानकारी स्कूलों से जिला शिक्षा समिति को उपलब्ध करानी होगी। जिसके बाद जिला शिक्षा समिति यह जानकारी मध्यप्रदेश शासन को उपलब्ध कराएगी।
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इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अभिभावकों को बड़ी राहत दी है। दरअसल अभिभावकों को किसी भी तरह की समस्या होती है तो वह जिला समिति के सामने अपनी बात रखेंगे। समिति को 28 दिन के भीतर अभिभावकों की स्कूली परेशानी का निराकरण करना होगा। बता दें कि कोर्ट में जागृत पालक संघ ने कहा था कि शिकायत पर जिला प्रशासन गंभीर नहीं होते हैं और अधिकार क्षेत्र नहीं होने की बात कहकर मामले को टाल देते हैं। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया है।
ज्ञात हो कि Corona की दूसरी लहर (corona second wave) के बाद से ही लोगों की आर्थिक स्थिति चरमराई हुई है। ऐसी परिस्थिति में भी निजी स्कूल द्वारा ट्यूशन फीस के साथ अन्य मदों की फीस बढ़ाने का सिलसिला लगातार जारी है। ट्यूशन फीस के नाम पर निजी स्कूल (MP School) बच्चों से 14 से 15 तरह के मध्य में फीस वसूल कर रहे हैं। जिसके बाद जागृत पालक संघ मध्यप्रदेश ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
इससे पहले Corona Era के दौरान बच्चों से वसूली जारी ट्यूशन फीस को लेकर एक मामला मध्य प्रदेश के हाई कोर्ट में लंबित पड़ा है। दरअसल पालकों का कहना है कि वर्तमान सत्र में फीस बढ़ोतरी के कारण कई लोगों द्वारा फीस अदायगी नहीं की गई है। जिसके बाद स्कूल TC नहीं देने और परीक्षा परिणाम रोकने जैसी बातें कर रहे हैं। इसको लेकर पालक संघ ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर में याचिका दायर की थी। जिसकी सुनवाई सितंबर के पहले सप्ताह में हो सकती है।