दरअसल सोमवार को जारी आदेश में इंदौर खंडपीठ ने भी आरक्षण पद्धति पर रोक लगा दी है। वही कहा गया है कि निकाय चुनाव में आरक्षण की प्रक्रिया में रोटेशन पॉलिसी (rotation policy) का पालन होना चाहिए। बता दें कि बीते दिनों हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने मुरैना, उज्जैन में दो नगर निगम सहित 81 नगर पालिका और नगर परिषद के महापौर अध्यक्ष के आरक्षण पर रोक लगा दी। वहीं आरक्षण को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सोमवार को इंदौर खंडपीठ ने भी फैसला सुनाया है।
जिसमें कहा गया है कि नगर निकाय चुनाव में आरक्षित की गई सीट पर एक ही वर्ग के आरक्षण लंबे समय से चले आ रहे है। जबकि आरक्षण में रोटेशन का नियम है संविधान की व्यवस्था के बाद इस कार्यप्रणाली को दरकिनार किया जाना उचित नहीं है। जिसके बाद इंदौर खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि एक ही वर्ग को आरक्षण दिया जा रहा है। जिससे दूसरे वर्ग चुनाव से वंचित हो रहे हैं।
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भोपाल में भी महापौर और पार्षद पद के लिए आरक्षण को कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी
इधर ग्वालियर और इंदौर खंडपीठ में आरक्षण पर रोक के बाद अब भोपाल में भी महापौर और पार्षद पद के लिए आरक्षण को कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी की जा रही है। कहा जा रहा है कि भोपाल नगर निगम में महापौर का पद ओबीसी ओपन यानी हर ओबीसी के लिए क्यों आरक्षित किया गया है। बता दें कि नगर निगम में दो बार ओबीसी महिला के लिए महापौर पद का आरक्षण हुआ लेकिन ओबीसी ओपन के लिए आरक्षण होने पर रोटेशन पद्धति पर सवालिया निशान लग गए हैं। अब ऐसी स्थिति में भोपाल नगर निगम में भी महापौर और पार्षद पद के लिए आरक्षण को कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है।
भूपेंद्र सिंह का तर्क- ग्वालियर हो या इंदौर दोनों ही रोक के आदेश, कुछ निकायों के लिए हैं
हालांकि इस मामले में नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में शिवराज सरकार विशेष अनुमति याचिका दायर करेगी अप्रैल में खंडपीठ को जवाब देने और रोक हटाने का आग्रह करेगी लेकिन भूपेंद्र सिंह ने साथ में यह भी कहा कि इस पद्धति से चुनाव की तारीख का आगे बढ़ना तय है। हालांकि भूपेंद्र सिंह ने एक तर्क देते हुए कहा कि ग्वालियर हो या इंदौर दोनों ही रोक के आदेश में कुछ निकायों के लिए हैं लिहाजा सुप्रीम कोर्ट में सरकार अपनी तरफ से शेष स्थानों पर चुनाव की तैयारी में लगी है।
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मार्च में पंचायत चुनाव की तारीखों का ऐलान संभव
इधर नगर निकाय चुनाव आ रही परेशानियों के बीच राज्य निर्वाचन आयोग पंचायत चुनाव करवाने पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। इसके लिए मंगलवार को राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की थी। जहां राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने कहा कि नगर निकाय चुनाव से पहले प्रदेश में पंचायत चुनाव कराए जाएं। माना जा रहा है कि नगर निकाय चुनाव में मामला कोर्ट में नहीं सुलझा तो ऐसी स्थिति में मार्च में पंचायत चुनाव की तारीखों का ऐलान किया जा सकता है।
हालांकि अब ग्वालियर और इंदौर खंडपीठ के आदेश के बाद नगरीय निकाय चुनाव को लेकर प्रदेश में सियासत तेज हो गई है। इस मामले में कांग्रेस का कहना है बीजेपी जानबूझकर आरक्षण प्रक्रिया में त्रुटि रखी है ताकि नगर निकाय चुनाव की तारीखों का ऐलान अभी ना किया जाए। इसके अलावा देश के अन्य हिस्से में विधानसभा चुनाव को देखते हुए भी मध्यप्रदेश में नगर निकाय चुनाव को टाले जाने की बात सामने आ रही है।
हालांकि वजह जो भी हो इतना तो तय है कि प्रदेश में निकाय चुनाव एक बार फिर से टल सकते हैं। वहीं सत्ता पक्ष और विपक्ष के एकमत होने के बाद यह भी साफ है कि मध्य प्रदेश में नगर निकाय चुनाव से पहले पंचायत चुनाव करवाए जा सकते हैं।