Murder : खाने में गरम रोटी नहीं परोसना पड़ा एक मां पर भारी, कलयुगी बेटे ने कर दी हत्या

Gaurav Sharma
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छिंदवाड़ा,डेस्क रिपोर्ट। मां को भगवान का धरती पर रूप कहा जाता है। माना जाता है कि जिसने मां-बाप की सेवा कर ली उसने भगवान की पूजा कर ली। मां का प्रेम (Mother’s Love) अपनी संतान के लिए हमेशा बढ़ता है। एक मां ही होती है, जिसे सिर्फ इस बात कि चिंता सताती है कि उसके बच्चे ने खाना खाया या नहीं। मां के हाथ के खाने का स्वाद (Taste) दुनिया के मंहगे से मंहगे होटल का खाना मैच नहीं कर सकता। मां का अपने बच्चे से रिश्ता दुनिया में सबसे पवित्र (purest relation) माना जाता है, पर जिस खबर के बारे में हम आपको बताने जा रहे है, उसमें मां-बेटे जैसे पवित्र रिश्ते पर कलंक लगाने का काम किया है। प्रदेश के छिंदवाड़ा (Chhindwara) जिले में महज इस बात को लेकर एक बेटे ने अपनी मां की हत्या (Murder) कर दी कि उसकी मां ने उसके लिए गर्म रोटी बनाने से इंकार कर दिया था। जिससे गुस्साए बेटे ने मां का सर पत्थर से कुचलकर उसकी हत्या (Murder) कर दी। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार (Arrest) कर लिया है।

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पूरे मामले को लेकर एडिशनल एसपी बताते है कि अक्सर मां बेटे के बीच में झगड़ा (Conflicts) होता रहता था। पिता की मौत (Post Father Demise) के बाद से ही मां बेटे किसी ना किसी बात को लेकर झगड़ते (Quarrel) रहते थे। शनिवार की सुबह मां बेटे के बीच खाने में गर्म रोटी ना परोसने को लेकर विवाद हुआ। देखते ही देख दोनों के बीच विवाद इतना बढ़ गया कि बेटे ने गुस्से में आकर मां के सिर पर लगातार पत्थर से वार कर दिया, जिससे उसकी मौत हो गई। हत्या के आरोपी 22 साल के ओमप्रकाश को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। वहीं आरोपी के खिलाफ धारा 302 के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है। पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, मृतक का नाम बेबी बाई परतेती है। जिनकी उम्र 48 साल थी।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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