बड़ी राहत! पुलिसकर्मी की ड्यूटी के दौरान हुई आकस्मिक मौत पर पत्नी को सेवानिवृत्त की उम्र तक मिलेगा अंतिम वेतन

Gaurav Sharma
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एसपी

भोपाल,डेस्क रिपोर्ट। आम नागरिक (Common People) की दिन रात सेवा करने वाले पुलिसकर्मियों (Police personnel) को प्रदेश सरकार ने एक राहत देने का ऐलान किया है, जिसके तहत आचानक सेवा के दौरान अगर किसी पुलिसकर्मी की मौत (Demise) हो जाती है तो उनके परिवार को उनकी सेवानिवृत्त की उम्र (Retirement Age) होने तक दिवंग्त की पत्नी को अंतिम वेतम मिलेगा, वहीं सेवानिवृत (Retirement) होने के बाद वेतन का 50 फीसदी पेंशन (pension) मिलेगी।

दरअसल पुलिसकर्मियों को राहत देते हुए मध्य प्रदेश पुलिस कर्मचारी वर्ग नियम 1965 में संशोधन किया गया है। जिसके तहत जवान की आकस्मिक मौत पर उसकी पत्नी को अंतिम वेतन दिया जाएगा, लेकिन इस वेतन में वार्षिक वेत वेतनवृद्धि और महंगाई भत्ते में हुई वृद्धि को जोड़ा नहीं जाएगा। वहीं ऐसा करने से सरकार पर जो अतिरिक्त वित्तीय भार पड़ता है वो नहीं पड़ेगा।

बड़ी राहत! पुलिसकर्मी की ड्यूटी के दौरान हुई आकस्मिक मौत पर पत्नी को सेवानिवृत्त की उम्र तक मिलेगा अंतिम वेतन

साथ ही सेवानिवृत्ति की आयु के बाद परिवार को पुलिस कर्मी के वेतन का 50 फ़ीसदी पेंशन के तौर पर दिया जाएगा। वित्त विभाग द्वारा मध्य प्रदेश पुलिस कर्मचारी वर्ग नियम 1965 में संशोधन करते हुए हैं इस उप नियम को स्थापित किया है।

जारी किए गए आदेश को लेकर वित्त विभाग के अधिकारी बताते हैं कि दरअसल, असमंजस के हालात पैदा हो रहे थे क्योंकि नियम में ज्यादा उपलब्धियां शब्द का उपयोग किया गया था। जिसे सुधारने के लिए पुलिस के असाधारण परिवार निवृत्ती वेतन नियम में संशोधन किया गया है


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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