किसान आंदोलन: प्रिंयका को लिया हिरासत में, राहुल ने कहा लोकतंत्र नहीं बचा देश में

Atul Saxena
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नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। कृषि कानूनों (Agricultural laws) के विरोध में चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में करीब एक करोड़ से अधिक लोगों के हस्ताक्षर कर राष्ट्रपति से मिलने जा रहे राहुल गांधी (Rahul Gandhi)और प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi)को पुलिस (Police) ने रोक दिया। पुलिस ने प्रियंका गांधी को हिरासत में ले लिया। और राहुल गांधी सहित केवल तीन नेताओं को राष्ट्रपति से मिलने की इजाजत दी।

तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए दिल्ली के आसपास सीमाओं को सील कर बैठे किसानों का आंदोलन तेज होता जा रहा हैं आंदोलन को कई दलो के साथ मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस का भी समर्थन है। कांग्रेस ने आज सुबह पैदल मार्च कर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ramnath Kovind)  से मिलने का प्रोग्राम बनाया था। लेकिन पुलिस ने कांग्रेस मुख्यालय के आसपास धारा 144 लगाकर पैदल मार्च की इजाजत नहीं दी। पुलिस की इजाजत नहीं होने के बाद भी जब प्रियंका गांधी नहीं मानी और सड़क पर निकल गई तो पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया और बस में बैठाकर दूसरी जगह ले गए और कुछ देर की हिरासत के बाद रिहा कर दिया।

उधर राहुल गांधी राष्ट्रपति से मिलने की जिद पर जब अड़े रहे तो उन्हें उनके साथ केवल दो नेताओं को ले जाने की अनुमति मिली। राहुल गांधी ने गुलाम नबी आजाद और अधीर रंजन चौधरी के साथ राष्ट्रपति से मुलाकात की। मुलाकात के बाद राहुल ने मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि इस देश में लोकतंत्र नहीं बचा। हमने किसानों की को राष्ट्रपति तक पहुंचाया है। राहुल ने कहा कि मैं प्रधानमंत्री से कहना चाहता कि जब तक कानून वापस नहीं होगा किसान वापस नहीं जायेगा ।

उधर प्रियंका गांधी को हिरासत में लिए जाने पर मध्यप्रदेश में भी कांग्रेस ने मोदी सरकार पर हमला बोला है। एमपी कांग्रेस के अधिकृत ट्विटर हैंडिल पर कांग्रेस नेता सीपी मित्तल ने लिखा- “ना गोरों से डरे थे ना चोरों से डरेंगे” वहीं कमलनाथ ने अपने ट्विटर पर प्रियंका गांधी की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए लिखा -“प्रियंका गांधी की गिरफ्तारी बेहद निंदनीय है, कांग्रेस चुप नहीं बैठेगी, वो किसानों के साथ है, इन काले कानूनों के विरोध में है, उनके हर संघर्ष में उनके साथ हैं”।

 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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