Working Hours: आजकल की व्यस्त जीवनशैली के चलते हुए लोग ख़ुद पर ध्यान देना जैसे की भूल चुके हैं. जब एक उम्र में व्यक्ति बाहर काम करने लगता है तो वह न सिर्फ़ ख़ुद पर ध्यान देना भूल जाता है बल्कि परिवार का ध्यान रखना भी भूल जाता है या ये कहूँ की थोड़ा उसके लिए कठिन हो जाता है.
इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं जैसे भागदौड़ भरी ज़िंदगी, काम का दबाव आदी. क्या आप जानते हैं धर्म शास्त्रों में काम के समय को लेकर कई बातें कहीं हैं. जो ना केवल व्यक्तिगत जीवन को संतुलन बनाए रखने में मददगार होती है. बल्कि मानसिक को शारीरिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाने में मदद करती है.
शास्त्रों के अनुसार काम और विश्राम का संतुलन
कहा जाता है कि अत्यधिक मेहनत और लंबे समय तक काम करने वाले इंसान का शारीरिक और मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है. शास्त्रों के अनुसार दिनचर्या में संतुलन होना बेहद ज़रूरी है जिसमें काम, विश्राम और अत्यधिक चिंतन के लिए समय तय किया गया है.
ज्यादा काम से जीवन की गुणवत्ता पर असर
धर्मशास्त्रों में काम के समय को लेकर कोई नियम तो नहीं बताया गया है. लेकिन जीवन में संतुलन बनाए रखने पर ज़ोर ज़रूर दिया गया है. जब हम हद से ज़्यादा हमारे कामों पर ध्यान लगाने लगते हैं, तो हम ख़ुद की ज़िंदगी को भूल जाते हैं, ऐसे में कई बार हद से ज़्यादा काम करने और दिन भर काम के बारे में सोचने से इन्सान जीवन की गुणवत्ता को भी कम कर देता है.
समय का सही प्रबंधन और जीवन की शांति
हमें यह बात समझने की आवश्यकता है कि भगवान ने सभी को समान समय दिया है यानी हम सभी के पास 24 घंटे हैं, और इसे सही ढंग से मैनेज करना हमारे ही हाथों में है. अपने काम और स्वास्थ्य के बीच संतुलन बनाए रखना बेहद ज़रूरी है.
शास्त्र हमें यह बताते हैं कि जीवन के हर क्षेत्र में संतुलन बनाए रखने से ना केवल मन की शान्ति मिलती है. बल्कि कार्य में सफलता भी मिलती है और साथ ही साथ हम परिवार के साथ ख़ुश भी रहते हैं और उन्हें पर्याप्त समय भी दे पाते हैं।