इंदौर में प्रतिबंध के बावजूद निकाले ताजिए, TI लाइन अटैच, कईयों पर मुकदमा दर्ज

Pooja Khodani
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इंदौर, आकाश धोलपुरे। हर बार की तरह इस बार शहर में मोहर्रम के अवसर पर योमे आशूरा पर इमामबाड़े से कर्बला तक सरकारी ताजिया जुलूस के रूप में नहीं निकला। इधर, मुस्लिम समाजजनों में एक अफवाह फैली जिसके बाद शहर के मध्य में स्थित इमामबाड़ा के आसपास मुस्लिम समाज जन एकत्रित होने लगे इसके बाद एसपी पश्चिम महेशचन्द्र जैन, सराफा थाना प्रभारी अमृता सोलंकी, सहित पुलिस के आला अधिकारियों ने संडे लॉक डाउन और कोविड नियमो को ध्यान में रखते हुए अफवाह पर जियारत के लिए पहुंचने वाले लोगो हटाया। इस दौरान सर्वधर्म संघ के अध्यक्ष मंजूर बैग ने भी मुस्लिम समाजजनों से अपील की और उनसे घर जाने की अपील की। इधर, शहर के मध्य में तो पुलिस ने स्थिति को संभाल लिया और लोग मान भी गए लेकिन शहर के खजराना इलाके (Khajrana area) में बिना मास्क(Without Mask), बिना सोशल डिस्टेंसिंग (Without social distancing) के ही हजारो लोग ताजिये के साथ सड़क पर उतर गए और यहां के वीडियो देर शाम तक सोशल मीडिया पर वायरल होते रहे। बता दे कि खजराना क्षेत्र कोरोना का हॉटस्पाट रह चुका है।

अप्रैल में जब कोरोना (Corona) शहर में फैलना शुरू हुआ था, तब सैकड़ों मरीज खजराना क्षेत्र से भी निकले थे और वर्तमान में भी खजराना क्षेत्र में संक्रमण लगातार मामले सामने आ रहे है ऐसे में जुलूस की शक्ल में निकले लोगो ने एक बार फिर संक्रमण के खतरे को बढ़ा दिया है।खजराना के ताजिये वाले जुलूस में भारी भीड़ के वीडियो जब सोशल मीडिया पर वायरल होने लगे तब पुलिस प्रशासन ने कार्यवाही आरंभ की। खजराना थाने के टीआई संतोष यादव को लाइन हाज़िर करने के बाद खजराना थाना पुलिस ने इस मामले में शहजाद, लियाकत अली, शहनवाज, रशीद, अनवर, पूर्व पार्षद उस्मान पटेल, कुदरत पटेल, दिलावर पटेल, भूरा पठान, मोहम्मद अली पटेल, इसहाक पटेल, अजीज कुरैशी और यूनुस खान के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया है।

इधर, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नही करने वालो पर बीजेपी नेता कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे है वही सवाल ये भी उठ रहे है कि जब प्रदेश में सन्डे लॉक डाउन का पालन करना जरूरी है तो क्यों इंदौर प्रशासन हर रविवार को सक्रियता के साथ मैदान में नही उतरता है जबकि आदेश गृहमंत्री नरोत्तम मिश्र द्वारा दिये गए। बहुत जरूरी होने पर घर से निकलने वालो के मामले का बहाना बनाकर शहरभर में लोग एक स्थान से दूसरे स्थान पर sunday लॉक डाउन का मजाक बनाते दिखते है।

 

 


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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