Employees Promotion Supreme Court Order: प्रदेश के कर्मचारियों को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। दरअसल पिछले 6 साल से प्रदेश में लगी प्रमोशन की रोक को लेकर सुप्रीम कोर्ट के सरकार की मुश्किलें बढ़ गई है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से अनारक्षित वर्ग के अफसरों के प्रमोशन के मामले में महत्वपूर्ण जानकारी मांगी है। इसके साथ ही निर्देश दिया है कि 8 हफ्ते में शपथपत्र दाखिल कर यह बताया जाए कि अब तक अनारक्षित वर्ग के अफसरों के प्रमोशन के मामले में क्या क्या कार्रवाई की गई है।
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
मध्य प्रदेश में 6 साल से प्रमोशन पर रोक लगी हुई है। हालांकि ग्वालियर हाई कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों को स्थगित करवाने के लिए शिवराज सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी। जहां सरकार को बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ा है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से सवाल करते हुए पूछा है कि अनारक्षित वर्ग के कर्मचारियों को अब तक प्रमोशन क्यों नहीं दिया गया है। इससे सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सामान्य वर्ग के कर्मचारियों द्वारा ऐसा कोई दंडनीय अपराध नहीं किया गया है कि उनके प्रमोशन को रोका जाए।
8 हफ्ते में सरकार को शपथ पत्र दाखिल करने के निर्देश
इसके साथ ही ग्वालियर हाईकोर्ट के निर्देश पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि 8 हफ्ते में सरकार को शपथ पत्र दाखिल करना होगा। यह भी बताना होगा कि अनारक्षित वर्ग के अफसरों के प्रमोशन में अब तक सरकार द्वारा क्या कार्रवाई की गई है और इसकी अभी क्या स्थिति है। सुप्रीम कोर्ट में 3 जजों की बेंच द्वारा यह आदेश राज्य सरकार की अपील पर दिया गया है।
ग्वालियर हाईकोर्ट के निर्देश
इससे पहले ग्वालियर हाईकोर्ट द्वारा प्रमोशन पर रोक हटाने के लिए सरकार को निर्देश दिया गया था। सरकार द्वारा कोर्ट के आदेश की अवमानना पर हाई कोर्ट में अफसरों को कोर्ट बुलाकर सजा भुगतने के लिए तैयार रहने को कहा गया था। जिसके बाद सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई थी। पूरे मामले के मुताबिक 2 दिन पहले ग्वालियर हाईकोर्ट में प्रमोशन को लेकर सुनवाई की गई थी। जिसमें जस्टिस रोहित आर्य और जस्टिस सत्येंद्र सिंह की बेंच द्वारा सरकार को कहा गया था कि कर्मचारियों को प्रमोशन न दिया जाना, उनके संवैधानिक अधिकारों का पूर्ण रूप से हनन है। ग्वालियर हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि पशुपालन विभाग में एक 11 में से 2 चिकित्सक बगैर प्रमोशन के रिटायर हो गए हैं जबकि नौ के मामले में अभी भी नौकरी की तारीख से अब तक उन्हें कोई प्रमोशन नहीं दिया गया है।
सुनवाई करते हुए ग्वालियर हाई कोर्ट ने कहा था कि किसी कारण कर्मचारियों के प्रति राज्य सरकार का ऐसा रवैया उदासीनता दिखाता है। भारतीय संविधान के मुताबिक याचिकाकर्ता को मौलिक अधिकार 14 और 16 में जो अधिकार मिले हुए हैं। उन्हें किसी भी स्थिति में दरकिनार नहीं किया जा सकता है। वहीं कर्मचारियों को प्रमोशन देने के आदेश ग्वालियर हाई कोर्ट द्वारा दिए गए थे।