सिंधिया का कांग्रेस पर निशाना, एक लॉक डाउन 1975 में भी लगा था जिसे थोपा गया था

Atul Saxena
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नई दिल्ली / भोपाल, डेस्क रिपोर्ट।  राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बोलने खड़े हुए भाजपा के राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) ने कोरोना काल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) द्वारा लगाए गए लॉक डाउन की तुलना 1975 की इमरजेंसी से की।

भाजपा  ने अपने ट्विटर पर सिंधिया के सम्बोधन के एक अंश को ट्वीट किया है, सिंधिया ने कहा – एक ये लॉकडाउन था सभापति महोदय, जहां एक व्यक्ति के आह्वान पाए एक व्यक्ति के अनुरोध पर पूरे देश की जनता ने स्वेच्छा के आधार पर उस आह्वान , उस अनुरोध का पालन किया। और  एक वो लॉक डाउन था सभापति महोदय जब 1975 में इमरजेंसी लागू की गई थी, जिसे देश पर थोपा गया था  और पूरे देश को जेल खाना बनाया गया थाऔर ये बात मैं जितना यहाँ खड़े रहकर कह रहा हूँ उतना ही मैं वहां भी खड़ा रहकर कहता था।  सिंधिया ने आगे कहा कि सत्य, सत्य ही होता है, उसके पीछे ना आपको छिपना चाहिए और ना देश की जनता कभी छिपेगी।

वहीँ सिंधिया ने अपने ट्विटर पर एक शेर लिखते हुए इस बात के लिए धन्यवाद  ज्ञापित किया कि राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बोलने का अवसर उन्हें दिया गया।
सिंधिया ने शेर लिखा – हजार बर्क गिरें लाख अँधियाँ उठें,वो फूल खिल के रहेंगे जो खिलने वाले हैं…

 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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