Sehore News: कमल पुष्प से बने हैं चिंतामन गणेश, उल्टे स्वास्तिक से होती है मन्नत पूरी

Atul Saxena
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सीहोर, अनुराग शर्मा।  राजधानी के निकट बसे सीहोर जिला मुख्यालय से कुछ दूरी पर स्थित चिंतामन गणेश मंदिर (Chintaman Ganesh Mandir) देशभर में अपनी ख्याति और भक्तों की अटूट आस्था को लेकर पहचाना जाता है। चिंतामन सिद्ध भगवान गणेश की देश में चार स्वयं भू-प्रतिमाएं हैं। इनमें से एक रणथंभौर सवाई माधोपुर राजस्थान, दूसरी उज्जैन स्थित अवन्तिका, तीसरी गुजरात में सिद्धपुर और चौथी सीहोर (Sehore) में चिंतामन गणेश मंदिर में विराजित हैं। यहां साल भर लाखों श्रद्धालु भगवान गणेश के दर्शन करने आते हैं।

मंदिर के पुजारी आचार्य पृथ्वी वल्लभ दुबे की माने तो मंदिर का जीर्णोद्धार एवं सभा मंडप का निर्माण बाजीराव पेशवा प्रथम ने करवाया था। शालीवाहन शक, राजा भोज, कृष्ण राय तथा गौंड राजा नवल शाह आदि ने मंदिर की व्यवस्था में सहयोग किया। नानाजी पेशवा विठूर के समय मंदिर की ख्याति व प्रतिष्ठा में वृद्धि हुई है।

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सीवन के कमल पुष्प से बने हैं चिंतामन

मंदिर के आचार्य पृथ्वी वल्लभ दुबे पुजारी आगे जानकारी देते हुए बताते हैं कि प्राचीन चिंतामन सिद्ध गणेश को लेकर पौराणिक इतिहास है। इस मंदिर का इतिहास करीब दो हजार वर्ष पुराना है। सम्राट विक्रमादित्य सीवन नदी से कमल पुष्प के रूप में प्रकट हुए भगवान गणेश को रथ में लेकर जा रहे थे। सुबह होने पर रथ जमीन में धंस गया। रथ में रखा कमल पुष्प गणेश प्रतिमा में परिवर्तित होने लगा। प्रतिमा जमीन में धंसने लगी। बाद में इसी स्थान पर मंदिर का निर्माण कराया गया। आज भी यह प्रतिमा जमीन में आधी धंसी हुई है।

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उल्टा स्वास्तिक बनाकर मांगते हैं मन्नत 

मंदिर के पुजारी आचार्य पृथ्वी वल्लभ दुबे आगे बताते हैं कि मान्यता अनुसार श्रद्धालु भगवान गणेश के सामने अपनी मन्नत के लिए मंदिर की दीवार पर उल्टा स्वास्तिक बनाते हैं और मन्नत पूर्ण होने के पश्चात सीधा स्वास्तिक बनाते हैं। चिंतामन गणेश मंदिर पर प्रतिवर्ष गणेश चतुर्थी के दौरान दस दिवसीय भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। जिसमें प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचकर भगवान गणेश के दर्शन करते हैं।

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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