भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। कोरोना काल (Corona era) में आर्थिक परेशानियों से जूझ रही शिवराज सरकार (shivraj government) प्रभावित अर्थव्यवस्था (economy) और विकास योजनाओं को गति देने के लिए एक बार फिर 4000 करोड़ रुपए का ऋण लेगी। इसी के साथ जारी वित्तीय वर्ष में शिवराज सरकार पर बाजार की कुल उधारी 21,258 करोड रुपए तक पहुंच जाएगी। इससे पहले राज्य सरकार शासकीय खर्च के लिए मार्च में कुछ आकस्मिक कर्ज ले सकती है।
दरअसल 2019-2020 के बजट में केंद्र सरकार द्वारा मध्यप्रदेश को 61000 करोड़ रुपए मिलने थे। लेकिन कोरोना के मद्देनजर केंद्रीय करों में हिस्सेदारी के रूप में मध्यप्रदेश को महज 45000 करोड़ रुपए ही मिले थे। वहीं केंद्र सरकार का कहना है कि मध्य प्रदेश सरकार को कम राशि उपलब्ध कराने के पीछे का कारण था कोरोना संकट की वजह से जीएसटी (GST) और आयकर में पिछले साल की तुलना में इस वर्ष कम करों का संग्रह होना।
मध्यप्रदेश में एक बार फिर से विकासशील योजनाओं को गति देने के लिए मध्यप्रदेश सरकार 4258 करोड़ रुपए का कर्ज लेने जा रही है। इसके साथ ही आकस्मिक कर्ज के लिए अलग से बांड (Bond) जारी करेगी। जिसमें छह बाजार बांड के जरिए बाजार से शिवराज सरकार पैसा उठाएगी।
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हालांकि इस मामले में वित्त विभाग के प्रमुख सचिव मनोज गोविल (Manoj Govil) का कहना है कि कोरोना और लॉकडाउन के बावजूद मध्य प्रदेश के कई विभागों ने अच्छा संग्रह किया है। जिससे मध्य प्रदेश सरकार का राजस्व संग्रह अच्छा रहा है। वहीं प्रमुख सचिव मनोज गोविल ने कहा है कि केंद्र की बजट का इंतजार कर रहे हैं अगर केंद्र द्वारा बकाया पैसा मिल जाता है तो शिवराज सरकार को बाजार से कर्ज लेने की जरूरत नहीं होगी।
वहीं मध्य प्रदेश सरकार अंतिम तिमाही में 19 जनवरी को 1000 करोड़, 16 फरवरी को 1000 करोड़, 9 मार्च को 1000 करोड़, 23 मार्च को 1000 करोड़ और 30 मार्च को 258 करोड़ रूपए बाजार से कर्ज लेगी।
बता दें कि इससे पहले शिवराज सरकार ने 2000 करोड़ रुपए का कर्ज लिया था। वही कोरोना संक्रमण के कारण पैदा हुई वित्तीय संकट को देखते हुए केंद्र सरकार ने शिवराज सरकार से 14000 करोड़ रुपए अतिरिक्त कर्ज लेने की अनुमति दी थी।