पूर्व विधायक जितेंद्र गहलोत के बिगड़े बोल, कमलनाथ सरकार की भुखे कुत्तों से कर दी तुलना

Gaurav Sharma
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रतलाम, सुशील खरे। जिले के ताल में शासकीय महाविद्यालय के उद्घाटन के दौरान आलोट के पूर्व विधायक जितेंद्र गहलोत (Former MLA  Jitendra Gehlot) के बिगड़े बोल सामने आए हैं। अपने संबोधन में उन्होंने कमलनाथ सरकार (Kamalnath Govrnment) के कार्यकाल की जमकर आलोचना  (Criticize) की तथा कमलनाथ सरकार और उनके मंत्रियों की तुलना भूखे कुत्तों (Starved Dogs) से कर डाली। इस दौरान मंच पर पूर्व विधायक जितेंद्र गहलोत के पिता एवं केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत (Union Social Justice and Empowerment Minister Thawarchand Gehlot), मध्य प्रदेश शासन के उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव (Higher Education Minister Mohan Yadav) एवं क्षेत्रीय सांसद अनिल फिरोजिया (MP Anil Ferozia) उपस्थित थे।

 

पूर्व विधायक जितेंद्र गहलोत (Former MLA Jitendra Gehlot) ने अपने संबोधन के दौरान कमलनाथ सरकार के द्वारा विभिन्न योजनाओं में भ्रष्टाचार एवं केंद्र की कई योजनाओं को अपने नाम से श्रेय देने की बात करते हुए कहा कि आप तो सभी जानते हैं कि कितने समय से कांग्रेस सरकार सत्ता में नहीं थी और यह सभी लोग भूखे थे और जब भूखे कुत्तों को कुछ खाने को मिलता है तो वह किस तारा खाने पर टूट पड़ते हैं कुछ ऐसा ही हाल कमलनाथ सरकार और उसके मंत्रियों का था। जितेंद्र गहलोत यह भी भूल गए कि जिस कमलनाथ सरकार और  मंत्रियों पर वह निशाना साध रहे हैं उनके लिए अपशब्द बोल रहे हैं उनमें से अब कई मंत्री भाजपा सरकार में भी हैं।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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