नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। सुप्रीम कोर्ट ने EWS के आरक्षण पर बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) को 10 फीसदी आरक्षण दिए जाने के फैसले को हरी झंडी दे दी है। कोर्ट ने केंद्र सरकार के फैसले पर अपनी मुहर लगाई है। 5 जजों की बेंच में से 3 जजों ने संविधान के 103 वें संशोधन अधिनियम 2019 को सही माना है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद इसे मोदी सरकार की बड़ी जीत माना जा रहा है।
अनारक्षित जातियों के निर्धन नागरिकों के लिए निर्धारित किए गए EWS आरक्षण (EWS Reservation) को चुनौती दी गई थी। ईडब्ल्यूएस को 10 फीसदी आरक्षण दिए जाने के खिलाफ 30 से ज्यादा याचिकाएं दाखिल की गई थी। 27 सितंबर को हुई पिछली सुनवाई में अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुप्रीम कोर्ट ने चुनौती को खारिज कर दिया है यानी ईडब्ल्यूएस आरक्षण को मान्य कर दिया गया है।
चीफ जस्टिस यूयू ललित के नेतृत्व में 5 जजों की पीठ ने 3:2 से संविधान के 103वें संशोधन के पक्ष में फैसला सुनाया। हालांकि, चीफ जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस रवींद्र भट्ट ने EWS कोटा के खिलाफ अपनी राय रखी। बाकी तीन जजों ने कहा यह संशोधन संविधान के मूल भावना के खिलाफ नहीं है। स्टिस दिनेश माहेश्वरी, जस्टिस बेला त्रिवेदी और जस्टिस जेबी पारदीवाला ने EWS आरक्षण के फैसले को सही ठहराया।
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जस्टिस दिनेश माहेश्वरी ने कहा कि कहा कि सवाल बड़ा ये था कि क्या EWS आरक्षण संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। क्या इससे SC /ST/ ObC को बाहर रखना मूल भावना के खिलाफ है। EWS कोटा संविधान का उल्लंघन नही करता। EWS आरक्षण सही है, ये संविधान के किसी प्रावधान का उल्लंघन नहीं करता। ये भारत के संविधान के बुनियादी ढांचे का उल्लंघन नहीं करता है. जस्टिस बेला त्रिवेदी ने कहा कि मैंने जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की राय पर सहमति जताई है। जस्टिस पारदीवाला ने कहा कि आरक्षण कोई अंतिम सीमारेखा नहीं है। इस फैसले पर उन्होंने ने भी सहमति जताई।