परिवार की रजामंदी से हो रही हिंदू युवती और मुस्लिम युवक की शादी को पुलिस ने रुकवाया, जानिए वजह

Gaurav Sharma
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लखनऊ,डेस्क रिपोर्ट। लव जिहाद एक ऐसा मुद्दा है जो आए दिन देश की सुर्खियों में बना रहता है। एक बार फिर ये चर्चा का विषय बना हुआ है। उत्तर प्रदेश के लखनऊ में अंतर धार्मिक विवाह को लेकर प्रशासन ने सख्त रवैया अपनाते हुए शादी को रोक दिया, ताज्जुब की बात यह है कि शादी दोनों परिवार की सहमति से की जा रही थी।

दरअसल बुधवार को लखनऊ में एक हिंदू युवती की शादी मुसलमान व्यक्ति से की जा रही थी। जिसकी सूचना मिलते ही पुलिस प्रशासन मौके पर पहुंची और शादी को उनके द्वारा रुकवा दिया गया। पुलिस ने धर्मांतरण नियम का हवाला देते हुए इस शादी को रुकवाया, साथ ही शादी करने के लिए डीएम से अनुमति मांगने की भी बात कही।

यह पूरा मामला लखनऊ के पारा थाना क्षेत्र का है, जहां बिना धर्म बदले एक हिंदू युवती मुस्लिम लड़के से शादी कर रही थी। मौके पर पहुंचकर पुलिस ने शादी को रुकवा दिया। बताया जा रहा है कि शादी के बारे में पुलिस को सूचना कुछ हिंदू संगठन द्वारा दी गई थी। वहीं पूरे मामले को लेकर लड़के की परिवार वालों का कहना है कि शादी दोनों परिवार की रजामंदी की से हो रही है।

वहीं इस पूरे मामले को लेकर साउथ लखनऊ के एडिशनल डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस ने बताया कि पारा थाना क्षेत्र के अंदर आने वाली डूडा कॉलोनी में एक समुदाय की लड़की दूसरे समुदाय के लड़के के साथ शादी करना चाह रही है। जिसके बाद दोनों परिवारों को पुलिस ने थाने बुलाया, जहां उनको नवीन उत्तर प्रदेश धर्म विरुद्ध धर्मांतरण अध्यादेश के बारे में बताया गया और इसकी एक कॉपी भी उन्हें दी गई। साथ ही उनसे कहा गया कि शादी के लिए उन्हें डीएम की अनुमति लेना जरूरी है। जिसके बाद दोनों परिवार ने जिलाधिकारी से धर्म विरुद्ध अध्यादेश के नियम के तहत सूचित करके और अनुमति लेते हुए शादी करने की बात कही।

वही लड़के के भाई आसिफ शेख ने बताया इस नए अध्यादेश की जानकारी मेरे परिवार को नहीं थी। वही मैं किसी काम के चलते फैजाबाद गया हुआ था। अब जब मैं फैजाबाद से वापस आया मैंने इस अध्यादेश की जानकारी अपने परिवार वालों को दी। वही आगे आसिफ शेख ने बताया कि शादी दोनों परिवार की रजामंदी से हो रही है।

आसिफ शेख कहते हैं कि उन्होंने लिखित में पुलिस को आश्वासन दिया है कि वह डीएम से अनुमति लेने के बाद ही शादी के कार्यक्रम को आगे बढ़ाएंगे। यदि शादी की अनुमति नहीं मिलती है तो वह शादी रद्द कर देंगे। आसिफ शेख का कहना है कि उनके लिए कानून से पहले कुछ नहीं है। वही पूरे मामले को लेकर लड़की वालों की तरफ से कोई भी मीडिया से बात करने के लिए आगे नहीं आया है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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