जबलपुर।संदीप कुमार
लॉकडाउन में फॅसे लोगो की मदद के लिए मध्यप्रदेश सरकार का कोरोना कंट्रोल रूम सफेद हाथी साबित हो रहा है या हम ये कह सकते है कि एक मजाक बन रहा है। जबलपुर के बरगी में रहने वाले एक युवक ने सोशल मीडिया में अपनी पोस्ट डालकर मध्यप्रदेश सरकार के कोरोना कंट्रोल रूम की हकीकत सामने लाई है।
जबलपुर के बरगी का युवक फंसा बेंगलरू में-वापस आने नही मिली मदद
जबलपुर के बरगी का रहने वाला एक युवक उमा शंकर जो कि जॉब की तलाश के बेंगलरू गया था।इस युवक को वहाँ जॉब तो मिली नही हॉ बेचारा लॉक डाउन में जरूर फस कर रह गया।युवक ने किसी तरह लॉक डाउन के समय कुछ दिन तो काटे पर जब उसकी आर्थिक स्थिति बिगड़ने लगी तो उसने मदद के लिए राज्य सरकार से गुहार लगाई।
मध्यप्रदेश सरकार के ऑनलाइन आवेदन भी भरे-पर नतीजा शिफर ही रहा
लॉकडाउन के समय बेंगलरू मे फॅसे युवक उमाशंकर ने 3 मई को वापस जबलपुर आने के लिए मध्यप्रदेश सरकार को ऑनलाइन आवेदन किया पर उसे वहाँ से हमेशा एक ही जवाब मिलता रहा कि आपको मैसेज किया जाएगा। आप जहा है वही रहे। युवक ने इस दौरान कई बार मध्यप्रदेश के कोरोना कंट्रोल रूम में अपनी आर्थिक स्थिति को बताया भी पर वहाँ से उसे मदद नही सिर्फ आश्वशन ही मिला।
सरकार के आश्वशन से थक गया तो पैदल ही जबलपुर के लिए निकल गया उमाशंकर
रोजगार की तलाश में बेंगलरू गए युवक उमाशंकर ने 13 मई तक मध्यप्रदेश सरकार को लगातार आवेदन किया पर वहाँ से संतोषजनक जवाब नही मिला लिहाजा उसने ठान ली कि वो अब पैदल ही जबलपुर जाएगा चाहे उसे कितने भी दिन लग जाए।
13 मई को निकल गया पैदल ही बेंगलरू से अभी पहुँचा है कोल्हापुर,वीडियो किया वायरल
उमाशंकर लगातार अपने लिए वापस जबलपुर आने की मांग मध्यप्रदेश सरकार से कर रहा था पर जब उसे मदद नही मिली तो 13 मई को पैदल ही बेंगलरू से निकल गया।आज उमाशंकर पैदल चलते-चलते कोल्हापूर पहुँचा है।इस दौरान कुछ समाजसेवियों ने जरूर उसकी कुछ किलोमीटर तक मदद की पर ज्यादातर सफर उसने पैदल ही किया।
मध्यप्रदेश सरकार के दावों को मुँह चिढ़ाता उमाशंकर
दूसरे राज्यों में फंसे प्रदेश के हर व्यक्ति को घर तक पहुंचाने का मध्य प्रदेश सरकार का यह दावा पूरी तरह से फेल साबित हो रहा है जिसका जीता जागता उदाहरण उमाशंकर है। उमाशंकर ने 3 मई को पहली बार आवेदन कर वापस जबलपुर आने की मांग सरकार के सामने रखी थी।जिसके लिए उसने बकायदा आवेदन भी भरा इतना ही नही युवक ने कोरोना कंट्रोल रूम से संपर्क भी किया पर उसे वहां से सिर्फ मदद का आश्वासन मिला।यही वजह है कि मध्य प्रदेश सरकार के द्वारा मिलने वाली मदद को उमाशंकर ने ठोकर मार दिया और अकेले ही पैदल जबलपुर जाने की ठान ली।