राहुल गांधी के इस ट्वीट पर मचा बवाल, उठी माफ़ी मांगने की मांग

Atul Saxena
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी (Rahul Gandhi) और विवादों का जैसे गठबंधन है। वे कोई बयान देते हैं तो फंस जाते है, वे कुछ करते हैं तो फंस जाते हैं। अब वे ट्वीट कर फंस गए हैं। किसान आंदोलन (Farmer Protest) के समर्थन में राहुल गांधी ने “वीर तुम बढ़े चलो..” कविता को अपने शब्द जोड़कर पैरोडी की शक्ल में ट्वीट किया है। देश के नामचीन कवि स्व द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी की इस कविता को ऐसे पेश करने पर कवि के पुत्र ने आपत्ति जताई है और राहुल गांधी से माफ़ी मांगने की मांग की है।

दरअसल कृषि कानूनों (Agricultural Laws) को लेकर चल रहे किसान आंदोलन का समर्थन कर रही कांग्रेस (Congress) लगातार अपनी गतिविधियों के सहारे किसानों को ये जताने का प्रयास कर रही है कि वो उसके आंदोलन का हिस्सा है। इसी क्रम में राहुल गांधी ने रविवार को हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध कवि स्व द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी (Dwarika Prasad Maheshwari)की कविता ” वीर तुम बढ़े चलो.. ” ट्वीट की। राहुल ने इस कविता में अपनी तरफ से कुछ लाइन जोड़ दी और पैरोडी की शक्ल में पोस्ट कर दिया। प्रसिद्ध कविता के साथ छेड़छाड़ और उसकी मूल भावना को प्रभावित करने पर कवि के पुत्र डॉ विनोद कुमार माहेश्वरी ने आपत्ति जताई है।

आगरा कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ विनोद कुमार माहेश्वरी (Dr Vinod Kumar Maheshwari)ने ट्वीट कर कहा कि “मेरे पिता बच्चों के गांधी नाम से सुविख्यात साहित्यकार स्व. द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी की कालजयी रचना वीर तुम बढ़े चलो… को पढ़कर और प्रेरणा पाकर देश के कोने-कोने में बच्चों की व हम उम्र लोगों की पूरी पीढ़ी प्रौढ़ावस्था को प्राप्त कर चुकी है। समय के शिलालेख पर अमिट ऐसी रचना को पैरोडी के रूप में आपके द्वारा प्रस्तुत किए जाने से मुझे और मेरे परिवार को पीड़ा हुई है। आप स्वयं विचार करें कि क्या यह कविता और कवि की आत्मा के साथ न्याय है। राहुल गांधी जी आपने कविता का मजाक बनाया है, जो घोर निंदनीय है इस पर माफ़ी मांगनी चाहिए।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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