कृषि मंत्री के बंगले पर प्रदर्शन करने जा रहे दो युवक हिरासत में, मुंडन कराने की थी योजना

Atul Saxena
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना। कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन (Former Protest) को समर्थन देने के लिए दो युवकों ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Union Agriculture Minister Narendra Singh Tomar)  के शासकीय आवास पर प्रदर्शन की कोशिश की। लेकिन पुलिस (Police) ने युवकों को हिरासत में ले लिया। पुलिस का कहना था कि युवकों के पास प्रदर्शन की अनुमति नहीं थी।

किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए ग्वालियर में भी पिछले कुछ दिनों से माकपा के बैनर पर किसान आंदोलन कर रहे हैं। लेकिन आज रविवार को दो युवकों ने कृषि कानून के खिलाफ प्रदर्शन करने का प्रयास किया। दोनों युवक इंदरगंज चौराहे के पास हाथ में बैनर लेकर खड़े हो गए। इनके कार्यक्रम के अनुसार ये यहाँ से पैदल मार्च करते हुए रेस कोर्स रोड स्थित केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के शासकीय आवास पर जायेंगे और वहाँ प्रदर्शन करेंगे। बताया ये भी जा रहा है कि दोनों युवकों का मंत्री तोमर के बंगले के बाहर मुंडन कराने की भी योजना थी।

दोनों युवकों के प्रदर्शन की सूचना पुलिस को मिली जिसके बाद इंदर गंज थाना पुलिस ने दोनों को पकड़ लिया। हालांकि युवक पुलिस की कार्रवाई का विरोध करते हुए कह रहे थे कि क्या एक दो इंसान को प्रदर्शन की अनुमति नहीं है क्या भारत में आपातकाल लगा है। उधर टी आई शैलेंद्र भार्गव का कहना था कि युवकों के पास प्रदर्शन की अनुमति नहीं थी इसलिए कानून व्यवस्था की दृष्टि से इन्हें थाने लाये हैं और पूछताछ की जा रही है। युवकों के पास से किसान कानून से संबंधित पोस्टर बैनर भी बरामद हुए हैं। हिरासत में लिए गए युवकों के नाम रविंद्र शर्मा और नीरज वर्मा बताये गए हैं।युवकों का कहना था कि प्रदर्शन के पीछे हमारा उद्देश्य केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को चम्बल की माटी,खून और पानी का धर्म याद दिलाना था क्योंकि चम्बल की माटी, खून और पानी एक  सन्देश दे रहा है कि चम्बल का धर्म निभाइये , चम्बल का धर्म किसानों पर लाठी और पानी की बौछारें करने की इजाजत नहीं देता।  गौरतलब है कि  केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर चम्बल क्षेत्र के मुरैना जिले से सांसद हैं। पुलिस ने पूछताछ के बाद युवकों को समझाइश देकर छोड़ दिया।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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