भोपाल, डेस्क रिपोर्ट| मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में हो रहे विधानसभा के उप-चुनाव (Assembly By-election) का प्रचार जोर पकड़ रहा है, तमाम नेताओं की रैली और जनसभाएं हो रही हैं, वहीं भाजपा (BJP) की स्टार प्रचारक उमा भारती की प्रचार अभियान से दूरी चर्चा का विषय बनी हुई है। राज्य में 28 विधानसभा सीटों पर उप-चुनाव होने वाले हैं और यहां 3 नवंबर को मतदान होगा। भाजपा चुनाव प्रचार की कमान पूरी तरह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chauhan), प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा (State President Vishnu Dat Sharma) और राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया (Rajyasabha MP Jyotiraditya Scindia) के हाथों में है। इन नेताओं की लगातार सभाएं हो रही हैं और वे कार्यकतार्ओं तथा मतदाताओं से सीधे संवाद भी कर रहे हैं।
भाजपा ने स्टार प्रचारकों की सूची में जिन नेताओं का नाम शामिल किया है, उनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती का नाम प्रमुख है (Former Central Minister And Former Chief Minister Of Madhya Pradesh Uma Bharti)। उमा भारती पिछले दिनों उत्तराखंड (Uttarakhand) की यात्रा पर गई थी और उसके बाद वह कोरोना पॉजिटिव (Corona Positive) पाई गई और उनका वहीं इलाज चला। इन दिनों वे उत्तरखंड में ही गंगा नदी (Ganga River) के किनारे स्वास्थ्य लाभ ले रही हैं। चुनाव प्रचार में पार्टी और उम्मीदवार उमा भारती की जरुरत महसूस कर रहे हैं, क्योंकि उनकी कई वर्गों में खास पकड़ है।
उमा भारती खुद आगामी कुछ दिनों तक सक्रिय न होने की बात कह चुकी हैं। उन्होंने तीन दिन पहले कहा था, मैं बहुत खुश हूं कि मैं आपको एक अच्छी खबर दे रही हूं। भगवान की दया से अभी बीस दिनों तक जिस चिकित्सक दल ने मेरी देखभाल की है उन्होंने मुझे पूर्णतया स्वस्थ घोषित कर दिया है तथा मेरी कमजोरी को पूर्णतया ठीक होने में अभी दस दिन लगेंगे। पूर्व मुख्यमंत्री के बयान का आषय यह है कि आगामी 25 अक्टूबर तक वे स्वास्थ्य लाभ लेंगी। इस तरह राज्य में होने वाले विधानसभा के उप-चुनाव के लिए उमा भारती ज्यादा समय नहीं दे पाएंगी। उमा भारती की चुनाव प्रचार से दूरी ने भाजपा की चिंताएं बढ़ा दी है, क्योंकि राज्य के आधा दर्जन से ज्यादा विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां लोधी वर्ग के मतदाता निर्णायक है और इन क्षेत्रों में उमा भारती पार्टी के लिए बड़ी भूमिका निभा सकती है।
राजनीतिक विष्लेषकों का मानना है कि उमा भारती का भाजपा के भीतर लगातार सियासी कद कम हो रहा है। वे अब तो राष्टीय स्तर की पदाधिकारी भी नहीं रहीं। उप-चुनाव ऐसा मौका है जब उमा भारती बगैर कुछ कहे अपना रुख पार्टी के सामने रख सकती हैं, इसीलिए इस अवसर का वे सियासी लाभ भी लेना चाह रही हैं। भाजपा में उमा भारती उन नेताओं में है जो अपनी नाराजगी जाहिर करने में कभी पीछे नहीं रहती और जब भी मौका होता है वे इसे जाहिर भी करती है। उप-चुनाव के दौरान भी प्रचार से दूरी का एक कारण स्वास्थ्य हो सकता है, मगर नाराजगी से इनकार नहीं किया जा सकता।