Alternate Mobile Number : ट्राई की नई सिफारिश, दूरसंचार कंपनियों से वसूला जा सकता है शुल्क, ग्राहकों पर बढ़ सकता है आर्थिक भार

Alternate Mobile Number : भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) ने एक प्रस्ताव पेश किया है, जिसमें प्रत्येक मोबाइल नंबर या लैंडलाइन नंबर पर दूरसंचार कंपनियों से शुल्क वसूलने की सिफारिश की गई है।

Rishabh Namdev
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Alternate Mobile Number : मोबाइल फोन उपयोगकर्ताओं के लिए एक बुरी खबर हो सकती है, दरअसल आने वाले दिनों में उपभोक्ताओं की जेब का खर्च अधिक होने की संभावना है। विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो एक से अधिक मोबाइल नंबर का उपयोग करते हैं। जानकारी के अनुसार भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) ने एक प्रस्ताव पेश किया है, जिसमें प्रत्येक मोबाइल नंबर या लैंडलाइन नंबर पर दूरसंचार कंपनियों से शुल्क वसूलने की सिफारिश की गई है।

मोबाइल नंबर सरकारी संपत्ति:

दरअसल इस मामले पर ट्राई का कहना है कि मोबाइल नंबर वास्तव में सरकारी संपत्ति हैं, जिन्हें सीमित समय के लिए दूरसंचार कंपनियों को उपयोग के लिए दिया जाता है और वे इन्हें ग्राहकों को आवंटित करती हैं। इसलिए, इन नंबरों के लिए कंपनियों से सरकार शुल्क वसूली कर सकती है। जानकारी के अनुसार ट्राई का यह कदम नंबरों के दुरुपयोग को कम करने के उद्देश्य से उठाया जा रहा है।

नंबरों के दुरुपयोग को रोकने का प्रयास:

जानकारी के मुताबिक ट्राई का कहना है कि दूरसंचार कंपनियां लंबे समय तक उपयोग में नहीं आने वाले नंबरों या कम इस्तेमाल होने वाले को भी चालु रखती है, ताकि उनके यूजर बेस पर इसका नकारात्मक प्रभाव न हो। ऐसे में कई लोग इसका गलत फायदा उठा लेते है।

दरअसल आजकल, डुअल सिम फोन बहुत आम हो गए हैं और अधिकांश उपयोगकर्ताओं के पास एक से अधिक मोबाइल नंबर होते हैं। आमतौर पर, एक नंबर का नियमित रूप से उपयोग होता है जबकि दूसरा निष्क्रिय रहता है। ट्राई इस प्रकार की गतिविधियों पर रोक लगाने का प्रयास कर रहा है।

अंतरराष्ट्रीय उदाहरण:

वहीं इस विषय पर ट्राई का कहना है कि ‘ऐसे कई देश है जहां पहले से ही ऐसी व्यवस्था है इन देशों में दूरसंचार कंपनियों को मोबाइल नंबर या लैंडलाइन नंबर की जगह सरकार को इसका शुल्क चुकाना पड़ता है। ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, बेल्जियम, फिनलैंड, ब्रिटेन, नीदरलैंड, स्विट्जरलैंड, पोलैंड, लिथुआनिया, यूनान, हांगकांग, बुल्गारिया, कुवैत, नाइजीरिया, दक्षिण अफ्रीका और डेनमार्क जैसे बड़े देश इसमें शामिल हैं।

दरअसल TRAI का कहना है कि सरकार या तो एकमुश्त शुल्क लगा सकती है या वार्षिक आधार पर शुल्क ले सकती है। हालांकि, अगर इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलती है, तो दूरसंचार कंपनियां यह अतिरिक्त लागत ग्राहकों पर डाल सकती हैं। विशेष रूप से, सेकेंडरी या वैकल्पिक मोबाइल नंबर रखने वालों को अधिक खर्च करना पड़ सकता है।


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मैंने श्री वैष्णव विद्यापीठ विश्वविद्यालय इंदौर से जनसंचार एवं पत्रकारिता में स्नातक की पढ़ाई पूरी की है। मैं पत्रकारिता में आने वाले समय में अच्छे प्रदर्शन और कार्य अनुभव की आशा कर रहा हूं। मैंने अपने जीवन में काम करते हुए देश के निचले स्तर को गहराई से जाना है। जिसके चलते मैं एक सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार बनने की इच्छा रखता हूं।

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