हरिवंश राय बच्चन की जयंती आज, सीएम मोहन यादव ने हिंदी साहित्य में उनके अवदान को याद किया

हरिवंश राय बच्चन हिंदी साहित्य के सुप्रसिद्ध कवि हैं जो आज भी अपनी रचनाओं के जरिए जनमानस में रचे बसे हैं। वे अपने समय में सबसे ज्यादा पढ़े और सुने जाने वाले कवि थे। उन्हें सुनने के लिए श्रोताओं की भीड़ उमड़ती थी। मधुशाला उनकी सबसे प्रसिद्ध रचनाओं में सम्मिलित है। बच्चन जी की रचनाएं हर वर्ग के पाठकों तक पहुंची और उन्हें लोकप्रियता की ऊंचाइयों पर पहुंचाया।

Harivansh Rai Bachchan birth anniversary

Harivansh Rai Bachchan Birth Anniversary : आज हिंदी के सुप्रसिद्ध कवि हरिवंश राय बच्चन की जयंती है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री मोहन यादव ने हिंदी साहित्य में उनके योगदान को याद करते हुए उन्हें नमन किया है। हररिवंश राय बच्चन की रचनाएं जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाती हैं। उनकी प्रमुख रचनाओं में मधुशाला, निशा निमंत्रण, एकांत संगीत और दो चट्टानें शामिल हैं। उनकी लेखनी में भावनात्मक तीव्रता और जीवन की वास्तविकताओं का अनूठा मिश्रण देखने को मिलता है। वे बीसवीं सदी में देश के सबसे अधिक प्रशंसित और सुने जाने वाले कवि थे।

हरिवंश राय बच्चन (27 नवंबर 1907 – 18 जनवरी 2003) हिंदी कविता के “उत्तर छायावाद” काल के प्रमुख कवियों में से एक थे। उनकी कविताएं जीवन के संघर्ष, प्रेम और आत्मानुभूति को सरल और सजीव शब्दों में अभिव्यक्त करती हैं। उनकी सबसे प्रसिद्ध कृति मधुशाला ने न सिर्फ उन्हें लोकप्रिय बनाया, बल्कि हिंदी कविता को एक नया दृष्टिकोण भी दिया है। इस कविता का असर आज भी साहित्य प्रेमियों पर उतना ही गहरा है जितना इसके प्रकाशन के समय था।

हरिवंश राय बच्चन की जयंती 

सुप्रसिद्ध कवि हरिवंश राय बच्चन का जन्म उत्तर प्रदेश के प्रयागराज (तत्कालीन इलाहाबाद) में हुआ। उनके परिवार की जड़ें अमोढ़ा नामक गांव से जुड़ी थीं। बाल्यावस्था में उन्हें ‘बच्चन’ कहकर पुकारा जाता था, जो बाद में उनका स्थायी नाम बन गया। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में एम.ए. और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से डब्ल्यू.बी. यीट्स की कविताओं पर शोध करते हुए पीएच.डी. प्राप्त की। उनकी शिक्षा ने उन्हें भारतीय और पश्चिमी साहित्य के बीच एक सेतु का कार्य करने की क्षमता दी। उल्लेखनीय है कि हिंदी सिनेमा के सुप्रसिद्ध अभिनेता अमिताभ बच्चन उनके सुपुत्र हैं।

हरिवंश राय बच्चन का जीवन और कृतित्व एक प्रेरणा है। उन्होंने अपनी लेखनी से न सिर्फ हिंदी साहित्य को समृद्ध किया, बल्कि जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण भी दिया है। उनकी रचनाएं आज भी पाठकों को प्रेरित करती हैं और हिंदी साहित्य के प्रति लोगों के मन में सम्मान जगाती हैं। उनकी रचनाओं का प्रकाश हिंदी साहित्य के आकाश में हमेशा चमकता रहेगा। आज उनकी जयंती पर सीएम मोहन यादव ने उनके योगदान को स्मरण करते हुए उन्हें नमन किया है।

आज उनकी जयंती पर पढ़ते हैं उनके द्वारा लिखा ये सुप्रसिद्ध गीत।

अग्निपथ! अग्निपथ! अग्निपथ!

वृक्ष हों भलें खड़े,
हों घने, हों बड़ें,
एक पत्र-छाँह भी माँग मत, माँग मत, माँग मत!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!

तू न थकेगा कभी!
तू न थमेगा कभी!
तू न मुड़ेगा कभी!—कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!

यह महान दृश्य है
चल रहा मनुष्य है
अश्रु-स्वेद-रक्त से लथपथ, लथपथ, लथपथ!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!


About Author
श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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