Credit Card Rules : भारत में क्रेडिट कार्ड का उपयोग करने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। कई बार लोगों के पास किसी वस्तु को खरीदने के लिए तुरंत पैसे नहीं होते है। ऐसी स्थिति में क्रेडिट कार्ड का उपयोग किया जाता है, जिससे पहले खरीदारी की जा सकती है और भुगतान बाद में किया जा सकता है। इसके अलावा, ईएमआई पर खरीदारी के लिए भी क्रेडिट कार्ड का प्रयोग आजकल आम सी बात हो गई है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि क्रेडिट कार्ड के नंबर्स की संख्या 16 ही क्यों होती है और इन नंबरों का क्या मतलब है? यदि आप भी इस बात से अनजान हैं तो आज इस खबर में हम आपको इसकी जानकारी देने वाले हैं।
क्रेडिट कार्ड पर 16 अंक क्यों होते हैं?
दरअसल क्रेडिट कार्ड पर 16 अंक होते हैं, जो कार्ड के सामने की तरफ होते हैं। वहीं इसके साथ ही सीवीवी कोड और एक्सपायरी डेट भी कार्ड पर दी होती है। आपको बता दें कि इन सभी जानकारियों को ठीक ठीक दर्ज करने के बाद ही कोई भुगतान संभव हो पाता है।
क्रेडिट कार्ड के 16 अंकों का महत्व:
1. मेजर इंडस्ट्री आईडेंटिफायर (MII):
दरअसल आपको जानकारी दे दें कि क्रेडिट कार्ड का पहला अंक यह दर्शाता है कि कार्ड किस कंपनी द्वारा जारी किया गया है, जिसे मेजर इंडस्ट्री आईडेंटिफायर (MII) कहा जाता है। उदाहरण के लिए:
-अगर क्रेडिट कार्ड का पहला अंक 4 है, तो इसे वीजा द्वारा जारी किया गया है।
-वहीं अगर कार्ड का पहला अंक 5 है, तो इसे मास्टरकार्ड द्वारा जारी किया गया है।
-और अगर पहला अंक 6 है, तो यह रुपे कार्ड को दर्शाता है।
2. इशूअर आईडेंटिफिकेशन नंबर (IIN) या बैंक आईडेंटिफिकेशन नंबर (BIN):
वहीं आपको बता दें कि क्रेडिट कार्ड के पहले 6 अंक यह दर्शाते हैं कि कार्ड किस फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशन या बैंक द्वारा जारी किया गया है। यानी इसे इशूअर आईडेंटिफिकेशन नंबर (IIN) या बैंक आईडेंटिफिकेशन नंबर (BIN) कहते है।
3. व्यक्तिगत क्रेडिट कार्ड नंबर:
जबकि 7 से 15 तक के अंक की बात की जाए तो यह दर्शाते हैं कि आपका क्रेडिट कार्ड अकाउंट नंबर क्या है। दरअसल यह नंबर उस बैंक या वित्तीय संस्थान द्वारा जारी किया गया होता है जिसने आपको क्रेडिट कार्ड दिया है। यह अंक व्यक्तिगत रूप से आपके खाते को पहचानने के लिए होते हैं।
4. अंतिम अंक का महत्व:
इसके साथ ही क्रेडिट कार्ड का 16वां और अंतिम अंक चेक डिजिट के रूप में जाना जाता है। यह अंक पूरे क्रेडिट कार्ड नंबर के वैलिडेशन का काम करता है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होता है कि कोई नकली क्रेडिट कार्ड न बना सके। यह कार्ड नंबर की सत्यता को सुनिश्चित करता है।