डिजिटल पेमेंट्स के इस युग में यूपीआई (Unified Payments Interface) का इस्तेमाल तेजी से आगे बढ़ रहा है। दरअसल ज्यादातर लोग अब नकद लेनदेन की बजाय अब बड़े पैमाने पर यूपीआई को ही प्राथमिकता दे रहे हैं। हालांकि, इसके साथ ही आजकल यूपीआई फ्रॉड के मामलों में भी तेजी से वृद्धि देखी जा रही है।
वहीं इसी को ध्यान में रखते हुए, नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने यूपीआई ट्रांजैक्शन को और सुरक्षित और विश्वसनीय बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। जानकारी के अनुसार अब यूपीआई पेमेंट्स की पुष्टि पिन की जगह बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन से की जाएगी।
दरअसल हाल ही के दिनों में यूपीआई पेमेंट्स के माध्यम से हो रहे धोखाधड़ी के मामलों ने आम लोगों को गंभीर चिंता में डाल दिया है। हालांकि दूसरी और देखा जाए तो यूपीआई ने आज के समय में डिजिटल पेमेंट्स को और आसान और सुगम बना दिया है, मगर इसी के बीच धोखाधड़ी के मामलों ने बढ़त भी देखने को मिल रही है। दरअसल यूजर्स के मन में नए नए फ्रॉड को लेकर असुरक्षा महसूस की जा रही है। लेकिन अब इस समस्या से निपटने के लिए NPCI ने पिन-आधारित सत्यापन प्रक्रिया की जगह बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन को अपनाने का बड़ा निर्णय लिया है।
NPCI यूपीआई लेनदेन को और अधिक सुरक्षित बनाने के लिए कर रहा यह तैयारी
वहीं मिंट की एक रिपोर्ट के अनुसार, NPCI यूपीआई लेनदेन को और अधिक सुरक्षित बनाने के लिए बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन को शामिल करने की योजना पर काम कर रहा है। इस नई प्रणाली के तहत, यूपीआई ट्रांजेक्शन को अब फिंगरप्रिंट स्कैनिंग या फेस ऑथेंटिकेशन के माध्यम से सत्यापित किया जाएगा। स्मार्टफोन में पहले से उपलब्ध इन फीचर्स का उपयोग करते हुए, यूपीआई पेमेंट्स को और भी सुरक्षित और आसान बनाने का प्रयास किया जाएगा।
बता दें कि यह नया बदलाव खासकर उन यूजर्स के लिए बेहद लाभकारी होगा, जो अपने बैंकिंग डिटेल्स या पिन की सुरक्षा को लेकर चिंतित रहते हैं। बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन के जरिए, अब सिर्फ वही व्यक्ति लेनदेन कर सकेगा, जिसका फिंगरप्रिंट या चेहरा सिस्टम में पहले से सेव किया गया है। इस कदम से धोखाधड़ी की घटनाओं पर भी काफी हद तक नियंत्रण पाया जा सकता है।