भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए दूध और उससे बने उत्पादों की पैकेजिंग पर A1 और A2 लेबल को हटाने का निर्देश दिया है। दरअसल यह आदेश सभी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स और खाद्य व्यवसायों पर लागू होगा, जिन्हें आगामी 6 महीनों के भीतर इस नियम का पालन करना अनिवार्य होगा।
जानकारी के अनुसार FSSAI का यह मानना है कि A1 और A2 जैसे लेबल उपभोक्ताओं के लिए भ्रम की स्थिति पैदा कर सकते हैं, और ये लेबल फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स एक्ट 2006 के प्रावधानों के अनुरूप नहीं हैं।
दूध में दूसरा सबसे महत्वपूर्ण प्रोटीन
दरअसल A1 और A2 लेबलिंग का संबंध दूध में पाए जाने वाले एक विशेष प्रोटीन ‘बीटा-केसीन’ की संरचना से होता । जानकारी के अनुसार यह प्रोटीन दूध में दूसरा सबसे महत्वपूर्ण प्रोटीन है, जो पोषण का अहम स्रोत है। बता दें कि बीटा-केसीन दूध में अमीनो एसिड के संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है, जो शरीर के विकास और स्वास्थ्य के लिए बहुत ही आवश्यक माना जाता है। इसके साथ ही दूध में A1 या A2 प्रोटीन की उपस्थिति गाय की नस्ल और उसके उत्पत्ति स्थान पर निर्भर करती है।
स्वास्थ्य के लिए अधिक फायदेमंद
जानकारी के अनुसार भारत में A2 दूध खासकर देशी नस्ल की गायों से प्राप्त होता है, जिनमें लाल सिंधी, साहिवाल, गिर, देवनी, और थारपारकर जैसी नस्लें प्रमुख हैं। बता दें कि ये गायें उच्च गुणवत्ता वाले A2 दूध का उत्पादन करती हैं, जिसे स्वास्थ्य के लिए अधिक फायदेमंद माना जाता है। वहीं, A1 दूध का उत्पादन मुख्य रूप से यूरोपीय नस्ल की गायों से होता है, जैसे कि जर्सी, आयरशायर, और ब्रिटिश शॉर्ट हॉर्न। ये गायें क्रॉस ब्रीडिंग के जरिए विकसित की जाती हैं और इनके दूध में A1 प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है।
FSSAI का कहना है कि दूध की पैकेजिंग पर A1 और A2 लेबलिंग से उपभोक्ताओं में भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है। यह देखा गया है कि कुछ कंपनियां इन लेबल्स का इस्तेमाल अपने उत्पादों को उच्च गुणवत्ता वाला दिखाने के लिए करती हैं।