बता दें कि देश की विकास दर पिछली यानी जनवरी-मार्च तिमाही की तुलना में काफी बेहतर रही। पिछली तिमाही में GDP ग्रोथ रेट 4.1% थी। जून तिमाही में GVA ग्रोथ (YoY) 18.1% से घटकर 12.7% हो गई। RBI ने इस महीने की शुरुआत में अपनी मौद्रिक नीति संबंधी बैठक में कहा था कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में GDP ग्रोथ रेट करीब 16.2% रहने की संभावना है। RBI ने FY23 के लिए रियल GDP ग्रोथ का अनुमान 7.2% पर बरकरार रखा।
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आंकड़ों के मुताबिक कोर सेक्टर- कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट और बिजली की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष के पहले चार माह अप्रैल-जुलाई में 11.5 प्रतिशत रही। एक साल पहले 2021-22 की इसी अवधि में यह 21.4 प्रतिशत थी। वहीं, कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस के उत्पादन में क्रमश: 3.8 प्रतिशत और 0.3 प्रतिशत की गिरावट आई।
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गौरतलब है कि केंद्र का राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों यानी जुलाई के अंत तक वार्षिक लक्ष्य के 20.5 प्रतिशत पर पहुंच गया है। एक साल पहले की समान अवधि में यह 21.3 प्रतिशत था। व्यय और राजस्व के अंतर को राजकोषीय घाटा कहा जाता है। राजकोषीय घाटा सरकार द्वारा बाजार से लिए गए कर्ज को भी दर्शाता है।