अप्रैल-जून तिमाही में 13.5% की दर से बढ़ी जीडीपी, पढ़े पूरी खबर

Amit Sengar
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नई दिल्ली,डेस्क रिपोर्ट। आर्थिक मोर्चे पर देश के लिए अच्छी ख़बर है, सरकार ने चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के आंकड़े बुधवार को जारी कर दिए गए हैं। मिनिस्ट्री ऑफ स्टैटेस्टिक्स एंड प्रोग्राम इम्प्लीमेंटेशन (MoSPI) की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक जून तिमाही में GDP ग्रोथ 13.5% रही जबकि पिछले साल की समान तिमाही में ये 20.1% थी। हालांकि, इस तेजी की वजह जीडीपी का लो बेस होना था।

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बता दें कि देश की विकास दर पिछली यानी जनवरी-मार्च तिमाही की तुलना में काफी बेहतर रही। पिछली तिमाही में GDP ग्रोथ रेट 4.1% थी। जून तिमाही में GVA ग्रोथ (YoY) 18.1% से घटकर 12.7% हो गई। RBI ने इस महीने की शुरुआत में अपनी मौद्रिक नीति संबंधी बैठक में कहा था कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में GDP ग्रोथ रेट करीब 16.2% रहने की संभावना है। RBI ने FY23 के लिए रियल GDP ग्रोथ का अनुमान 7.2% पर बरकरार रखा।

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आंकड़ों के मुताबिक कोर सेक्टर- कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट और बिजली की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष के पहले चार माह अप्रैल-जुलाई में 11.5 प्रतिशत रही। एक साल पहले 2021-22 की इसी अवधि में यह 21.4 प्रतिशत थी। वहीं, कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस के उत्पादन में क्रमश: 3.8 प्रतिशत और 0.3 प्रतिशत की गिरावट आई।

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गौरतलब है कि केंद्र का राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों यानी जुलाई के अंत तक वार्षिक लक्ष्य के 20.5 प्रतिशत पर पहुंच गया है। एक साल पहले की समान अवधि में यह 21.3 प्रतिशत था। व्यय और राजस्व के अंतर को राजकोषीय घाटा कहा जाता है। राजकोषीय घाटा सरकार द्वारा बाजार से लिए गए कर्ज को भी दर्शाता है।


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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