Tue, Dec 30, 2025

Imported Shoes: जल्द ही बाजारों में मिलना बंद हो सकते है आपके पसंदीदा ब्रांड्स के जूते! जानिए क्या है इसके पीछे का कारण

Written by:Rishabh Namdev
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Imported Shoes: जूते और चप्पलों के गुणवत्ता मानकों में भारत में परिवर्तन किया गया है, जिससे विदेशी ब्रांडों पर असर पड़ रहा है। वहीं अब इससे आम लोगों पर भी संकट आएगा। दरअसल आम लोगों को आने वाले समय में अपने पसंदीदा ब्रांड्स के जूते और चप्पल मिलने में परेशानी हो सकती है।
Imported Shoes: जल्द ही बाजारों में मिलना बंद हो सकते है आपके पसंदीदा ब्रांड्स के जूते! जानिए क्या है इसके पीछे का कारण

Imported Shoes: आपके पसंदीदा जूते-चप्पल आने वाले कुछ दिनों में दुकानों पर मिलना बंद हो सकते हैं। दरअसल विदेशी ब्रांडों के फुटवियर की स्टॉक जल्द ही समाप्त हो सकती है। यह भारतीय नियमों के एक हालिया बदलाव के कारण हुआ है, जिसे इस बड़ी वजह का जिम्मेदार माना जा रहा है। भारत एक बड़ा कारोबारी क्षेत्र हैं जहां कई ब्रांड्स के जूते-चप्पल लोगों द्वारा पसंद किए जाते हैं। अगर ऐसे में मार्केट में पसंदीदा जूते-चप्पल मिलना बंद हो जाए तो लोगों के लिए यह एक परेशानी का कारण बन सकता है।

बड़े-बड़े ब्रांड्स के आगे खड़ी हुई समस्या:

दरअसल एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कई लोकप्रिय ब्रांडों के स्टॉक की सप्लाई में कमी आ रही है। इनमें से अरमानी एक्सचेंज, सुपरड्राई, कैल्विन क्लेन, टॉमी हिल्फिगर, और यूएस पोलो एसोसिएशन जैसे ब्रांड्स शामिल हैं। इन कंपनियों ने ऑनलाइन और ऑफलाइन स्टोरों से अपने उत्पादों को हटा दिया है या फिर बचे-खुचे स्टॉक को ही बेच रहे हैं।

सरकार ने किया बदलाव:

जानकारी के मुताबिक सरकार ने हाल ही में जूतों और चप्पलों के गुणवत्ता मानकों में परिवर्तन किया है। जिसके चलते अब, भारत में इन उत्पादों की निर्माता कंपनियों को बीआईएस सत्यापन की आवश्यकता है। बीआईएस ने इस संबंध में क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर जारी किया है, जिसके अनुसार, यह सर्टिफिकेशन फैक्ट्रियों के लिए अनिवार्य है जो अंतिम उत्पाद बनाती हैं।

जानिए क्या बनाए गए हैं नियम?

नए नियमों के अनुसार, रबर और पीवीसी जूतों के निर्माताओं को भी बीआईएस का मान्यता प्राप्त करना आवश्यक होगा, जो इनके मुख्य घटक हैं, जैसे कि सोल और हील। यह क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर पिछले साल जुलाई में चमड़े के जूतों के लिए लागू किया गया था। स्पोर्ट्स शूज, सैंडल, क्लॉग, स्पिलर आदि के लिए नियम जनवरी 2024 में लागू होने जा रहा था, लेकिन अब यह नियम अगस्त तक बढ़ा दिया गया है।