Pradhanmantri Bhartiya Jan Aushadhi Kendra: भारत सरकार द्वारा कई सरकारी योजनाएं चलाई जाती है। जिसमें से एक प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्र योजना भी है। इस योजना की शुरुआत नंबर 2008 में हुई थी। जिसके तहत देश के नागरिकों को सस्ते में गुणवत्ता वाली दवाइयाँ उपलब्ध करवाई जाती है। इसे लेकर सरकार ने शनिवार को बड़ी अपडेट दी है। मार्च 2024 तक जनऔषधि केंद्रों की संख्या बढ़कर 10,000 तक करने का प्लान सरकार कर रही है। इस साल भी इसकी संख्या में वृद्धि हुई है। पूरे देश भर में 9,000 से अधिक केंद्र शुरू किये गए हैं।
वहीं पिछले वित्त वर्ष इनकी संख्या मात्र 8610 ही थी। इस केंद्रों के जरिए करीब 18,000 करोड़ की बचत सरकार ने की है। साथ ही इसका विस्तार देश भर के 766 जिलों में से 743 जिलों तक हो चुका है। शुरुआत में रसायन और उर्वक मंत्रालय के औषधि विभाग ने नवंबर 2008 में इस योजना के तहत इन केंद्रों को स्थापित किया गया था। जिसके कुछ वर्ष बाद ही 2017 में इसकी संख्या 3,000 तक करने का टारगेट तय किया गया। 2020 में यह टारगेट 6,000 तक पहुंचा और अब 2024 के करीब 10 हजार केंद्रों का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्र योजना के तहत दवाइयों की कीमत ब्रांडेड दवाई की कीमत में 50%-90% तक कम होती है। जिसका लाभ अब तक् करोड़ों लोग उठा चुके हैं। इसके तहत अब तक देश वासियों के करीब 5300 करोड़ रुपये बचे हैं। वित्त वर्ष 2021-22 में 893 करोड़ से अधिक रुपये की दवाइयों और चिकित्सा उपकरणों की बिक्री हुई थी।
जन जन के लिए ‘जन औषधि’
9000 से अधिक हुई प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्रों की संख्या!
प्रधानमंत्री @NarendraModi जी के ‘सस्ती दवाई, अच्छी दवाई’ उपलब्ध करवाने के लक्ष्य हेतु इन केंद्रों की शुरुआत की गयी थी। आज देश के हर जिले में ये केंद्र लाखों लोगों के लिए लाभकारी सिद्ध हो रहे हैं। pic.twitter.com/7wsj3RALkL
— Dr Mansukh Mandaviya (@mansukhmandviya) December 31, 2022