कभी 50 रुपये में पूरे परिवार का करते थे गुजारा, आज बन चुके हैं करोड़ों के मालिक, पढ़ें ए वेलुमणि की Success Story

पहला लैब उन्होंने मुंबई में खोला। शुरुआत में एक या दो टेस्ट ही आते थे, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। धीरे-धीरे उनका लैब प्रसिद्ध होता गया।

Sanjucta Pandit
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A Velumani’s Success Story : कहते हैं अगर मन में किसी चीज को करने की ठान लो, तो पूरी कायनात भी उसे सफलता दिलाने में लग जाती है। वहीं, अगर कोशिश ईमानदारी से की जाए तो एक-न-एक दिन व्यक्ति जरुर सफल होता है। क्या आपने कभी सोचा होगा जिस व्यक्ति का घर मात्र ₹50 से चलता हो वह कभी भी करोड़ों का मालिक बन सकता है, कभी भी नहीं। किसी गरीब की हालत और परेशानियों को देखते हुए कोई यह नहीं सोच सकता कि वह करोड़ों की कंपनी एस्टेब्लिश कर सकता है। जी हां, लेकिन यह सच है। तो चलिए आज के आर्टिकल में हम आपको थायरोकेयर टेक्नोलॉजी लिमिटेड (Thyrocare Technology Limited) के फाउंडर, चेयरमैन और MD ए वेलुमणि की सक्सेस स्टोरी बताएंगे।

कभी 50 रुपये में पूरे परिवार का करते थे गुजारा, आज बन चुके हैं करोड़ों के मालिक, पढ़ें ए वेलुमणि की Success Story

तमिलनाडु में हुआ जन्म

सबसे पहले हम आपको बता दें की वेलुमणि का जन्म तमिलनाडु के कोयंबटूर में हुआ था। उनका परिवार बहुत गरीब था और बहुत ही कम उम्र में उनके पिता उन्हें इस दुनिया में अकेले छोड़ कर चले गए थे। जिसके बाद उनकी मां पर घर चलाने का बोझ आ गया था। तीन भाई और बहन में वेलुमणि सबसे बड़े थे। हालांकि, गरीबी को करीब से देखने के बावजूद उनकी मां ने उन्हें पढ़ाई के लिए कभी नहीं रोका और अपने तीनों बच्चों को स्कूल भेजी। आपको यह जानकर हैरानी होगी की मात्र ₹50 में उनके परिवार का गुजरा हुआ करता था। छोटी सी उम्र से ही अपनी मां को इतनी मेहनत और संघर्ष कर देख पढ़ाई के साथ-साथ उन्होंने केमिस्ट की दुकान में नौकरी करनी शुरू की, जहां उन्हें ₹150 सालाना मिलते थे। जिनमें से वह ₹50 रखकर अपनी मां को सारा पैसा दे देते थे।

पीएचडी की डिग्री की हासिल

पढ़ने का वेलुमणि को काफी ज्यादा शौक था। इसलिए उन्होंने नौकरी करते हुए अपनी पढ़ाई जारी रखी और इस तरह उन्होंने पीएचडी की डिग्री भी हासिल की। जिसके बाद उन्हें भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर में लैब असिस्टेंट की पोस्ट पर जॉब मिली। यहां उनकी शादी सुमति वेलुमणि से हुई जोकि बैंक में सरकारी नौकरी करती थी। वहीं, 14 साल नौकरी करने के बाद वेलुमणि ने नौकरी छोड़ दी और फिर उन्होंने अपनी सेविंग्स के माध्यम से साल 1995 में थायरोकेयर की शुरुआत की। जिसका पहला लैब उन्होंने मुंबई में खोला। शुरुआत में एक या दो टेस्ट ही आते थे, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। धीरे-धीरे उनका लैब प्रसिद्ध होता गया। शुरुआत की बात करें, तो वह सैलरी भी नहीं लेते थे। लैब से जितनी कमाई होती थी, वह सारा का सारा पैसा उसी कंपनी में इन्वेस्ट कर देते थे। हालांकि, इसमें उनकी पत्नी ने उनका भरपूर साथ दिया।

बनें करोड़ों के मालिक

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो आज कंपनी का मार्केट कैप 3300 करोड रुपए से अधिक का है। इतनी बड़ी कंपनी के फाउंडर होने के बावजूद वह बहुत सरल और सिंपल लाइफ जीते है। आज उनकी कंपनी देश भर में फेमस है।


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Sanjucta Pandit

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मैं संयुक्ता पंडित वर्ष 2022 से MP Breaking में बतौर सीनियर कंटेंट राइटर काम कर रही हूँ। डिप्लोमा इन मास कम्युनिकेशन और बीए की पढ़ाई करने के बाद से ही मुझे पत्रकार बनना था। जिसके लिए मैं लगातार मध्य प्रदेश की ऑनलाइन वेब साइट्स लाइव इंडिया, VIP News Channel, Khabar Bharat में काम किया है।पत्रकारिता लोकतंत्र का अघोषित चौथा स्तंभ माना जाता है। जिसका मुख्य काम है लोगों की बात को सरकार तक पहुंचाना। इसलिए मैं पिछले 5 सालों से इस क्षेत्र में कार्य कर रही हुं।

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