Excessive Screen time can be harmful for health : आपका स्क्रीन टाइम कितना है। क्या आप जानते हैं स्क्रीन टाइम से आपकी शारीरिक सेहत के साथ मानसिक सेहत भी प्रभावित हो सकती है। ‘स्क्रीन टाइम’ का मतलब है कि कोई व्यक्ति डिजिटल उपकरणों जैसे मोबाइल, कंप्यूटर, लैपटॉप, टैबलेट, टेलीविजन या गेमिंग कंसोल पर कितना समय बिताता है। यह समय विभिन्न गतिविधियों पर आधारित हो सकता है।
इसे मापने के लिए इन दिनों स्मार्टफोन और अन्य डिजिटल उपकरणों में “स्क्रीन टाइम” फीचर होता है। उदाहरण के लिए, एंड्रॉइड और iOS डिवाइस में सेटिंग्स में जाकर “डिजिटल वेलबीइंग” या “स्क्रीन टाइम” विकल्प का उपयोग करके आप अपनी दैनिक उपयोग रिपोर्ट देख सकते हैं। स्क्रीन टाइम विभिन्न गतिविधियों पर आधारित हो सकता है, जैसे कि मनोरंजन, कामकाज, पढ़ाई या सामाजिक गतिविधियां इत्यादि।
ज्यादा स्क्रीन टाइम हो सकता है सेहत के लिए खतरनाक
अगर आपका स्क्रीन टाइम ज्यादा है तो ये आपकी शारीरिक और मानसिक सेहत को कई तरह के नुक़सान पहुंचा सकते हैं। लंबे समय तक स्क्रीन देखने से आंखों में तनाव, सिरदर्द, और नींद की समस्याएं हो सकती हैं। यह शारीरिक गतिविधियों को कम कर मोटापा, पीठ दर्द और मांसपेशियों में खिंचाव का कारण बन सकता है। मानसिक रूप से भी ये कई तरह की परेशानियों का कारण बन सकता है। अधिक स्क्रीन टाइम तनाव, ध्यान में कमी और सामाजिक अलगाव को बढ़ावा दे सकता है। इसके अलावा, लगातार डिजिटल मीडिया का उपयोग चिंता और अवसाद को भी बढ़ा सकता है। इसलिए, स्क्रीन टाइम को सीमित रखना और नियमित ब्रेक लेना ज़रूरी है।
इन गतिविधियों पर आधारित होता है स्क्रीन टाइम
मनोरंजन: फिल्में देखना, गेम खेलना, या सोशल मीडिया पर समय बिताना।
कार्य: ऑफिस का काम, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, या ईमेल पढ़ना।
पढ़ाई: ऑनलाइन क्लासेज, शोध, या ईबुक पढ़ना।
सामाजिक गतिविधियां: दोस्तों और परिवार से वर्चुअल बातचीत।
स्क्रीन टाइम के प्रकार
प्रोडक्टिव स्क्रीन टाइम: ऐसा समय जो काम, पढ़ाई, या सीखने जैसी सकारात्मक गतिविधियों के लिए उपयोग किया जाए।
नॉन-प्रोडक्टिव स्क्रीन टाइम: ऐसा समय जो केवल मनोरंजन या समय बिताने के लिए हो।
स्क्रीन टाइम के फायदे
- डिजिटल उपकरणों से शिक्षा और जानकारी प्राप्त करना आसान हो गया है।
- लोगों से कनेक्ट रहने में मदद करता है।
- मनोरंजन और रचनात्मकता के लिए कई प्लेटफॉर्म उपलब्ध हैं।
स्क्रीन टाइम से सेहत पर प्रभाव
1. आंखों पर प्रभाव: लंबे समय तक स्क्रीन देखने से “डिजिटल आई स्ट्रेन” होता है, जिसमें आंखों में सूखापन, जलन और धुंधलापन महसूस हो सकता है। स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी (ब्लू लाइट) आंखों पर तनाव डालती है और नींद को प्रभावित कर सकती है
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2. नींद पर प्रभाव: रात के समय स्क्रीन का अधिक उपयोग मेलाटोनिन हार्मोन (जो नींद को नियंत्रित करता है) के उत्पादन को कम कर सकता है, जिससे सोने में देरी और नींद की गुणवत्ता में गिरावट हो सकती है
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3. मानसिक स्वास्थ्य: अत्यधिक स्क्रीन टाइम चिंता, तनाव और अवसाद का कारण बन सकता है। सोशल मीडिया का अधिक उपयोग, ऑनलाइन तुलना, और साइबरबुलिंग मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं। सूचनाओं की अधिकता भी तनाव का कारण बन सकती है
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4. शारीरिक स्वास्थ्य: लंबे समय तक बैठे रहकर स्क्रीन का उपयोग मोटापा, मांसपेशियों में तनाव और पीठ दर्द जैसी समस्याओं का कारण बन सकता है। इसके अलावा, यह शारीरिक गतिविधियों में कमी का भी कारण बनता है
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स्क्रीन टाइम को कैसे नियंत्रित करें
- स्क्रीन टाइम के लिए समय सीमा निर्धारित करें।
- नियमित ब्रेक लें (20-20-20 नियम: हर 20 मिनट में 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर देखें)।
- स्क्रीन-फ्री समय या गतिविधियों को प्राथमिकता दें, जैसे पढ़ाई, एक्सरसाइज, या परिवार के साथ समय बिताना।
- डिजिटल डिटॉक्स (एक समय के लिए डिजिटल उपकरणों से पूरी तरह दूरी) का प्रयास करें।
- सोने से 1-2 घंटे पहले स्क्रीन का उपयोग बंद कर दें।
- स्क्रीन टाइम ट्रैकिंग ऐप्स का उपयोग करके समय की सीमा तय करें।