नई दिल्ली,डेस्क रिपोर्ट। भारत की खुदरा महंगाई (retail inflation) दर बढ़कर 7.4 प्रतिशत हो गई है। यह बढ़ोतरी दालों और सब्जियों की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण दर्ज की गई। वहीं एक साल पहले यानी सितंबर 2021 में ये 4.35% थी। कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) आधारित रिटेल महंगाई दर के आंकड़े बुधवार को जारी किए गए।
बता दें कि आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए महंगाई दर का अनुमान 6.7 फीसदी पर रखा है। देश के खाद्य मूल्य सूचकांक में 8.6% की वृद्धि दर्ज की गई है। वहीं, अनाज की महंगाई सितंबर में महीने में बढ़कर 11.53 फीसदी हो गई है। अगस्त में यह महंगाई दर सात फीसदी और सितंबर 2021 में 4.35 फीसदी थी।
खुदरा महंगाई के ताजा आंकड़ों से रिजर्व बैंक पर ब्याज दर बढ़ाने का दबाव पड़ने की आशंका है। आपको बता दें कि इस साल आरबीआई ने अब तक चार बार रेपो रेट में 190 बेस प्वाइंट की वृद्धि की है।
इस बीच, औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) अगस्त में 0.8 फीसदी घटी है। एक साल पहले समान महीने में औद्योगिक उत्पादन 13 प्रतिशत बढ़ा था। आंकड़ों के मुताबिक अगस्त, 2022 में मैन्युफैक्चरिंट सेक्टर का उत्पादन 0.7 प्रतिशत सिकुड़ गया। इसके अलावा खनन उत्पादन में 3.9 प्रतिशत की गिरावट आई। वहीं इस दौरान बिजली उत्पादन 1.4 प्रतिशत बढ़ा। बता दें कि अप्रैल, 2020 में कोविड-19 महामारी के कारण औद्योगिक उत्पादन पर काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ा था और यह 57.3 प्रतिशत नीचे आ गया था।
विश्व की कई अर्थव्यवस्था महंगाई को मापने के लिए WPI (Wholesale Price Index) को अपना आधार मानती हैं। भारत में ऐसा नहीं होता। हमारे देश में WPI के साथ ही CPI को भी महंगाई चेक करने का स्केल माना जाता है। आरबीआई मौद्रिक और क्रेडिट से जुड़ी नीतियां तय करने के लिए थोक मूल्यों को नहीं, बल्कि खुदरा महंगाई दर को मुख्य मानक (मेन स्टैंडर्ड) मानता है। अर्थव्यवस्था के स्वभाव में WPI और CPI एक-दूसरे पर असर डालते हैं। इस तरह WPI बढ़ेगा, तो CPI भी बढ़ेगा।