नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। अमेरिकी डॉलर (US Dollar) के मुकाबले भारतीय रुपये (Indian Rupee) में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है, कल गुरुवार को रुपया 83 पैसे की बड़ी गिरावट के साथ 80.79 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर बंद हुआ था जो सात महीने की सबसे बड़ी गिरावट थी वहीं आज भी रुपया गिरावट के साथ ओपन हुआ, आज डॉलर के मुकाबले रुपया 27 पैसे की कमजोरी के साथ 81.12 रुपये के स्तर पर (Indian rupee crosses record low level 81) खुला।
ऐसी रही इस सप्ताह रुपये की चाल
- गुरुवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 89 पैसे की कमजोरी के साथ 80.89 रुपये के स्तर पर बंद हुआ।
- बुधवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 22 पैसे की कमजोरी के साथ 79.98 रुपये के स्तर पर बंद हुआ।
- मंगलवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 2 पैसे की मजबूती के साथ 79.75 रुपये के स्तर पर बंद हुआ।
- सोमवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 3 पैसे की कमजोरी के साथ 79.77 रुपये के स्तर पर बंद हुआ।
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कैसे प्रभावित होता है रुपया
भारतीय रुपये के कमजोर होने की कई वजह होती हैं। इसका सबसे बड़ा कारण डॉलर की डिमांड बढ़ना (US dollar strong) होती है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कैसी भी उथल पुथल से निवेशक प्रभावित होता है और घबराकर डॉलर खरीदने लगता है जिससे उसकी डिमांड बढ़ जाती है और शेष देशों की मुद्राओं में गिरावट शुरू हो जाती है जिसमें भारतीय रुपया भी प्रभावित होता है।
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डॉलर से ही क्यों होती है रुपये की तुलना
दुनिया में कई मुद्राएं चलती हैं लेकिन विश्व स्तर पर बहुत सी मुद्राओं की तुलना अमेरिकी डॉलर से ही होती है। रुपये की तुलना डॉलर से ही क्यों की जाती है ये सवाल बहुत से लोगों के दिमाग में आता है, इसकी वजह हम आपको बताते हैं। दरअसल द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ‘ब्रेटन वुड्स एग्रीमेंट’ हुआ था। इस समझौते में न्यूट्रल ग्लोबल करेंसी बनाने का प्रस्ताव रखा गया था। उस समय युद्धग्रस्त पूरी दुनिया में अमेरिका आर्थिक तौर पर मजबूत होकर उभरा था। ऐसे में अमेरिकी डॉलर को दुनिया की रिजर्व करेंसी के रूप में चुना गया और पूरी दुनिया की करेंसी के लिए डॉलर को एक मापदंड के रूप में इस्तेमाल किया जाने लगा।