Delhi: दिल्ली में छोटे और पर्यावरण के अनुकूल कारोबारियों के लिए राहत की खबर है। राजधानी में कारोबार शुरू करने की प्रक्रिया को आसान बनाने के उद्देश्य से दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) ने एक नई नीति लागू करने का फैसला किया है। यह नीति 1 अगस्त 2025 से प्रभाव में आ जाएगी। इसके तहत यदि कोई यूनिट “ग्रीन कैटेगरी” में आती है और उसे प्रदूषण नियंत्रण उपकरणों की आवश्यकता नहीं है, तो उसे 20 दिन के भीतर ‘काम करने की अनुमति’ (Consent to Operate) मिल जाएगी। अगर तय समय में कोई जवाब नहीं मिला तो अनुमति स्वतः स्वीकृत मानी जाएगी।
यह कदम ईज ऑफ डूइंग बिजनेस यानी कारोबार करने में आसानी के दिशा में एक बड़ा सुधार है, जिससे राजधानी में छोटे और मझौले उद्यमियों को बड़ा फायदा मिलेगा।
सरकारी मंजूरी की प्रक्रिया में ऐतिहासिक बदलाव
अब तक दिल्ली में कारोबार शुरू करने के लिए उद्यमियों को कम से कम 120 दिनों का इंतजार करना पड़ता था, जिसमें फाइलें महीनों तक सरकारी दफ्तरों में उलझी रहती थीं। मगर इस नई व्यवस्था के तहत अब यह प्रक्रिया सिर्फ 20 दिन में पूरी होगी। यदि 20 दिन के भीतर DPCC की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आती, तो माना जाएगा कि काम की अनुमति स्वतः स्वीकृत है। दिल्ली सरकार में मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने इस सुधार की घोषणा करते हुए कहा- हमने वो करके दिखाया है जो दूसरे 50 साल में नहीं कर पाए। अब किसी भी ग्रीन कैटेगरी उद्योग को अनुमति के लिए महीनों इंतजार नहीं करना पड़ेगा। पारदर्शी व्यवस्था और सिंगल विंडो सिस्टम से कारोबार का माहौल सुधरेगा। उन्होंने उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना और मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को इस कदम को समर्थन देने के लिए धन्यवाद भी दिया।
जानिए कौन सी इंडस्ट्रीज़ को मिलेगी छूट
नई नीति का सीधा फायदा दिल्ली में चल रहे या प्रस्तावित 65 से अधिक ग्रीन कैटेगरी उद्योगों को मिलेगा। इसमें शामिल हैं।
रेडीमेड कपड़ों का निर्माण
एल्यूमिनियम उत्पाद
आयुर्वेदिक दवा उद्योग
फर्नीचर निर्माण
ऑप्टिकल गुड्स
पैकेजिंग यूनिट्स
कोल्ड स्टोरेज
खिलौनों का उत्पादन
ये उद्योग कम प्रदूषण फैलाते हैं, इसलिए इन्हें भारी प्रदूषण नियंत्रण उपकरणों की जरूरत नहीं होती। ऐसी यूनिट्स को अब न केवल कम समय में मंजूरी मिलेगी, बल्कि वे ब्यूरोक्रेटिक बाधाओं से भी बच सकेंगी। लेकिन एक शर्त यह भी रहेगी कि सभी इकाइयों को DPCC द्वारा निर्धारित पर्यावरणीय मानकों का पूरी तरह से पालन करना होगा। किसी भी उल्लंघन की स्थिति में DPCC कार्रवाई के लिए अधिकृत रहेगा।
‘सिंगल विंडो सिस्टम’ से होगा आवेदन और अधिक आसान
दिल्ली सरकार ने अनुमति प्रक्रिया को और सरल और प्रभावी बनाने के लिए सिंगल विंडो क्लियरेंस सिस्टम को भी लागू करने की घोषणा की है। यानी अब उद्यमियों को अलग-अलग विभागों के चक्कर नहीं लगाने होंगे। सभी जरूरी दस्तावेज और मंजूरी एक ही पोर्टल पर प्राप्त किए जा सकेंगे। सिरसा ने कहा- यह सुधार पुराने ‘लाइसेंस राज’ को खत्म करने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। हम चाहते हैं कि उद्यमियों को सरकार पर भरोसा हो और वे समयबद्ध ढंग से अपना काम शुरू कर सकें। इस व्यवस्था से जहां एक ओर भ्रष्टाचार और देरी पर अंकुश लगेगा, वहीं दूसरी ओर सांस्थानिक जवाबदेही भी बढ़ेगी।
छोटे कारोबारों को मिलेगा बड़ा सहारा
भारत जैसे देश में जहां लघु एवं मध्यम उद्यम (MSME) अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, वहां दिल्ली सरकार का यह कदम व्यावसायिक माहौल को गति देने वाला है। यह न केवल राजधानी में रोजगार के अवसर बढ़ाएगा, बल्कि अन्य राज्यों को भी ऐसी नीति अपनाने के लिए प्रेरित करेगा। निश्चित ही यह पहल दर्शाती है कि अब सरकारें सिर्फ नीतियां बनाने में नहीं, बल्कि उन्हें जमीन पर लागू करने में भी सक्रियता दिखा रही हैं। ऐसे समय में जब युवा स्टार्टअप्स और MSME सेक्टर अपने कारोबार को लेकर अनिश्चितता में रहते हैं, यह निर्णय उनके लिए एक नव आशा का संकेत है।
दिल्ली सरकार का यह कदम उन सभी लोगों के लिए एक बड़ी राहत है जो कम निवेश, पर्यावरणीय अनुकूलता और समयबद्ध प्रक्रिया के साथ अपना व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं। ग्रीन कैटेगरी उद्योगों को अब लाइसेंस और स्वीकृति के लिए भारी-भरकम फॉर्मेलिटी या बिचौलियों की जरूरत नहीं पड़ेगी। यह कदम न केवल व्यवसाय की सुगमता को बढ़ावा देगा, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था में भी योगदान देगा।





