Bata Success Story : हम सभी बचपन से ही बाटा कंपनी की चप्पल देखते आ रहे हैं। बड़े-से-बड़े मार्केट हो या फिर छोटी-सी-छोटी दुकान आपको बाटा की शूज आसानी से मार्केट में मिल जाएंगे। बता दें कि इस कंपनी की चप्पल भारत के मिडिल क्लास लोगों की पहली पसंद है। अधिकतर लोग उसे भारतीय कंपनी समझते हैं, लेकिन यह विदेशी कंपनी है। जिसकी शुरुआत 19 के दशक में की गई थी। ऐसा कोई भी घर आपको नहीं मिलेगा, जिसके सदस्य ने बाटा के जूते नहीं पहने हो। हालांकि, 130 साल के सफर में कंपनी ने काफी उतार-चढ़ाव भी देखे। इसके बावजूद यह लोगों के दिलों में अपना विश्वास जमाए हुए है। नौबत यहां तक आ गई थी कि कंपनी बंद करनी पड़े, लेकिन कहते हैं ना अगर मेहनत करने वाले लोग हो तो वह डूबती नैया को भी बचा लेते हैं। ठीक ऐसा ही बाटा कंपनी के साथ हुआ है। आइए पढ़ते हैं Bata की सक्सेस स्टोरी…
70 से अधिक देशों में कारोबार
सबसे पहले हम आपको यह बता दें कि बात की कंपनी स्विस ब्रांड है, जिसका मुख्यालय स्विट्जरलैंड के लेजोन में स्थित है। जिनका कारोबार 70 से अधिक देशों में फैला हुआ है। वहीं, इंडिया की बात करें तो यहां लगभग 15,000 से ज्यादा स्टोर्स है। दरअसल, साल 1920 के दशक में थॉमस बाटा भारत के दौरे पर आए थे, यहां उन्होंने बहुत से लोगों को पैदल नंगे पांव चलते हुए देखा, तभी इन्हें यह आइडिया आया कि क्यों न लोगों के लिए ऐसे जूते चप्पल बनाई जाए, जो उनके पैरों को आराम पहुंचाने के साथ ही काफी फैंसी लगे।उनका जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था और वे जूते बनाने के काम से जुड़े थे। इसके बाद, उन्होंने साल 1931 में बाटा शू कंपनी प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना की, लेकिन उसके 1 साल बाद ही उनकी मौत हो गई। जिसके बाद इस कंपनी को उनके भाई जैन एंटोनिन बाटा ने संभाला। भारत में इस कंपनी को बहुत अच्छा रिस्पांस मिला। लोगों के बीच भरोसा कायम करने में कंपनी कामयाब रही और भारत में यह एक देसी ब्रांड बनकर उभरा है।