Wholesale inflation : मई 2024 के थोक महंगाई (WPI) के आंकड़े कल, 14 जून को जारी किए जाएंगे। दरअसल एक्सपर्ट्स की माने तो, एक बार फिर इसमें गिरावट देखने को मिल सकती है। जानकारी दे दें कि इससे पहले यानी अप्रैल महीने में थोक महंगाई दर 1.26% थी, जो कि पिछले 13 महीनों का उच्चतम स्तर था। इससे पहले मार्च 2024 में यह 0.53% और फरवरी में 0.20% रही थी। जनवरी 2024 की बात करें तो यह थोक महंगाई दर जनवरी में 0.27% पर थी।
पिछले महीनों की थोक महंगाई दर:
अप्रैल 2024: 1.26%
मार्च 2024: 0.53%
फरवरी 2024: 0.20%
जनवरी 2024: 0.27%
खुदरा महंगाई में गिरावट:
दरअसल 12 जून को यानी बीते दिन जारी हुए मई 2024 के रिटेल महंगाई के आंकड़े बताते हैं कि रिटेल महंगाई दर 4.75% रही है। हालांकि यह पिछले 12 महीनों का निचला स्तर है। जानकारी के अनुसार अप्रैल 2024 में रिटेल महंगाई दर घटकर 4.83% पर थी।
रिटेल महंगाई के आंकड़े:
मई 2024: 4.75%
अप्रैल 2024: 4.83%
थोक महंगाई दर (WPI) के प्रभाव:
जानकारी दे दें कि थोक महंगाई दर (WPI) मुख्य रूप से विनिर्माण और थोक बाजारों में वस्तुओं के मूल्य परिवर्तन को दर्शाती है। यह दर विभिन्न वस्तुओं के मूल्य में आए परिवर्तन को मापने में मदद करती है। थोक महंगाई दर के बढ़ने या घटने का सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है।
अर्थव्यवस्था पर प्रभाव:
दरअसल थोक महंगाई दर में गिरावट का मतलब है कि उत्पादकों और विक्रेताओं को उनकी वस्तुओं के लिए अधिक कीमत नहीं मिल पा रही है, जिससे वस्त्रों की कीमतें स्थिर या कम हो रही हैं। इससे उपभोक्ताओं को राहत मिल सकती है क्योंकि वस्त्रों की कीमतें सामान्य रह सकती हैं। दूसरी ओर, महंगाई दर में बढ़ोतरी का मतलब है कि वस्त्रों की कीमतें बढ़ रही हैं, जिससे उपभोक्ताओं को अधिक खर्च करना पड़ सकता है।
14 जून को जारी होने वाले थोक महंगाई के आंकड़े देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति को स्पष्ट करने में मदद करेंगे। एक्सपर्ट्स की भविष्यवाणी के अनुसार, इसमें गिरावट की संभावना है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि ये आंकड़े कैसे आते हैं और इसका उपभोक्ताओं और देश की अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ता है।