आज के समय में भारत में ज्यादातर लोग अंग्रेजी बोल लेते हैं। स्टूडेंट्स के बीच अंग्रेजी आजकल कॉमन भाषा हो गई है। अंग्रेजी आना अब किसी भी छात्र के लिए जरूरी सा हो गया है। इसी कारण से अब छात्र अंग्रेजी की ओर ज्यादा बढ़ रहे हैं। जिसे अंग्रेजी आती है, उसे आमतौर पर पढ़ा-लिखा इंसान माना जाता है, जबकि जिसे अंग्रेजी नहीं आती, उसे कमजोर समझा जाता है। कई बार लोग अंग्रेजी न आने की वजह से मजाक का पात्र बन जाते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि सुरभि गौतम भी एक समय पर अंग्रेजी नहीं बोल पाती थीं?
अंग्रेजी नहीं बोल पाने के चलते सुरभि गौतम का भी कॉलेज में मजाक बनाया जाता था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और जीवन में प्रयास किया। आज वह एक आईएएस अधिकारी हैं। यह कहानी उन सभी स्टूडेंट्स के लिए प्रेरणा है, जो अंग्रेजी नहीं बोल पाने के डर से कई बार मजाक का पात्र बन जाते हैं।

अंग्रेजी नहीं बोल पाने पर मजाक उड़ाते थे
बता दें कि यूपीएससी देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है। सुरभि गौतम ने यह परीक्षा पास की और आईएएस अधिकारी बनीं। उन्होंने उन सभी लोगों का मुंह बंद कर दिया, जो उन्हें अंग्रेजी नहीं बोल पाने पर मजाक उड़ाते थे। सुरभि गौतम ने यह साफ कर दिया कि सफलता के लिए अंग्रेजी आना कोई अनिवार्यता नहीं है। बता दें कि सुरभि गौतम मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव की रहने वाली हैं। उन्होंने बचपन से ही पढ़ाई को गंभीरता से लिया और अच्छे से पढ़ाई की। उन्होंने बिना कोचिंग के दसवीं और 12वीं बोर्ड की परीक्षा पास की। उन्होंने दोनों बोर्ड परीक्षाओं में 90% से ज्यादा अंक प्राप्त किए थे।
यूपीएससी की परीक्षा में 50वीं रैंक हासिल की
सुरभि गौतम को अपने घर में हमेशा से ही पढ़ाई का अच्छा माहौल मिला। उनके पिता वकील थे, जबकि उनकी माता टीचर थीं। वह पढ़ाई को लेकर हमेशा से गंभीर रहीं। जब सुरभि गौतम ने 12वीं की परीक्षा पास की, तो उन्होंने इंजीनियरिंग करने का निर्णय लिया और स्टेट इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा भी दी, जिसमें उन्हें सफलता मिली। इसके बाद उन्होंने भोपाल इंजीनियरिंग कॉलेज से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में बीटेक की डिग्री प्राप्त की। इसमें भी सुरभि ने टॉप किया, जिसके चलते उन्हें गोल्ड मेडल दिया गया। हालांकि, कॉलेज के समय में अंग्रेजी न बोल पाने के कारण वह कई बार मजाक का पात्र बनीं। दरअसल, उन्होंने हिंदी माध्यम से पढ़ाई की थी, इस कारण उनकी अंग्रेजी कमजोर थी। लेकिन उन्होंने अंग्रेजी को सफलता की राह में बाधा नहीं बनने दिया और यूपीएससी की परीक्षा में सफलता प्राप्त की। उन्होंने इस परीक्षा में 50वीं रैंक हासिल की।