UPSC की तैयारी :-क्या आप एंथ्रोपोलॉजी विषय की तैयारी को लेकर हैं चिंतित ? तो पढ़े यह खबर …

Manisha Kumari Pandey
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नई दिल्ली , डेस्क रिपोर्ट । यूपीएससी के आवेदन शुरू हो चुके हैं और इसी के साथ अभ्यार्थियों के बीच ऑप्शनल सब्जेक्ट को लेकर भी कंफ्यूजन शुरू है। सोशियोलॉजी , साइकोलॉजी,  राजनीतिक विज्ञान , इतिहास,  एंथ्रोपोलॉजी,  केमिस्ट्री इत्यादि कई ऑप्शनल सब्जेक्ट  लिस्ट में शामिल है। अक्सर अभ्यार्थी optional subject ले कर असमंजस में होते है , कि अगर वो एंथ्रोपॉलजी को वैल्पिक विषय के रूप में चुनते हैं तो आखिरकार इसकी तैयारी कैसे की जाए । आज कि इस खबर में हम आपके उन्ही सवालों का जवाब ले कर आए हैं ।

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आईएएस अनुदीप दृष्टि के मुताबिक पाठ्यक्रम के अनुसार सिलेबस पढ़ना बहुत जरूरी होता है । विषय पर अच्छी पकड़ पाने के लिए कुछ किताब और अन्य ऑनलाइन sources और समाचार पत्रों का इस्तेमाल किया जा सकता है । एंथ्रोपोलॉजी का सिलेबस बाकी विषयों की तुलना में छोटा होता है ।

यदि आप anthrology में एक नयी  शुरुआत कर रहे हैं, तो आपका ध्यान कान्सेप्ट clear करने पर होना चाहिए , न कि पाठ्यक्रम को जल्दी से पूरा करने पर। विषय की आपकी स्पष्ट समझ ही आपको अच्छे उत्तर लिखना सिखाता है । जरूरी नहीं की आप हर बुक को पूरा पढ़े ।  syllabus को समझे और उसके हिसाब से सभी टोपिक्स को कवर करे ।  एम्बर और एम्बर शुरू करने के लिए एक याची पुस्तक है। और आपके पास समय हो तो खुद के नोट्स जरूर बनाए ।

Anthropology कि कुछ किताबें है:–

Physical Anthropology – P Nath

Anthropology Simplified – Vivek Bhasme

Anthropology – Ember and Ember Paper II

Indian Anthropology -Nadeem Hasnain

Tribal India – Nadeem Hasnain

Anthropology Simplified- Vivek Bhasme

The Tribal Culture of India – LP Vidyarthi

Yojana मैगजीन – Tribal and Marginalized Communities

 


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पत्रकारिता जनकल्याण का माध्यम है। एक पत्रकार का काम नई जानकारी को उजागर करना और उस जानकारी को एक संदर्भ में रखना है। ताकि उस जानकारी का इस्तेमाल मानव की स्थिति को सुधारने में हो सकें। देश और दुनिया धीरे–धीरे बदल रही है। आधुनिक जनसंपर्क का विस्तार भी हो रहा है। लेकिन एक पत्रकार का किरदार वैसा ही जैसे आजादी के पहले था। समाज के मुद्दों को समाज तक पहुंचाना। स्वयं के लाभ को न देख सेवा को प्राथमिकता देना यही पत्रकारिता है।अच्छी पत्रकारिता बेहतर दुनिया बनाने की क्षमता रखती है। इसलिए भारतीय संविधान में पत्रकारिता को चौथा स्तंभ बताया गया है। हेनरी ल्यूस ने कहा है, " प्रकाशन एक व्यवसाय है, लेकिन पत्रकारिता कभी व्यवसाय नहीं थी और आज भी नहीं है और न ही यह कोई पेशा है।" पत्रकारिता समाजसेवा है और मुझे गर्व है कि "मैं एक पत्रकार हूं।"

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